परामर्ष अनुमान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] Syllogistic inference. न्यायसंगत अनुमान।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भदंत – Bhadamta. Respectful word for addressing great ascetics. जो सब कल्याणों को प्राप्त हों वह भदन्त हैं , साधु का अपरनाम “
चिंतागति Son of the king Suryaprabh of Suryaprabh city in the north of Vijayardh mountain. विजयार्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में सूर्यप्रभ नगर के राजा सूर्यप्रभ का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] Supreme, Highest state which is originated after the destruction of all Karmas. उत्कृष्ट, समस्त कर्मों का नाश होने पर अपने स्वभाव से जो उत्पन्न है उसे परा कहते है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यज्ञमित्र–Yagyamitr. Name of the 50th chief disciple of Lord Rishabhdev. तीर्थंकर वृषभदेव के 50वे गणधर का नाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ विचार – Shubha Vichaara. Auspicious & healthy thoughts or thinking. संयम आदि के उत्तम विचार रखना एवं आर्त-रौद्र ध्यान का त्याग करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मनंदि: Name of the disciple of Acharya Shri Kunthusagar Maharaj and many other Digamber Jain Acharyas. आचार्यश्री कुंथुसागर जी महाराज के एक प्रसिद्ध षिष्य ( ई0 श0 20-21) । इस नाम से दिगम्बर जैन आम्नाय में अनेको आचर्य हुए है। आचार्य कुंदकुद स्वामी को भी पदमनंदि नाम से जाना जाता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभ तैजस समुद्र्घात – Shubha Taijasa Samudghaata. Emanation of auspicious radiant effigy like body (spiritual form) from a super saint causing prosperity all around. ऋद्धिधारी मुनि को दया अनुकंपा आने पर दाहिने कंधे से हंस और शंख वर्ण वाला शरीर निकलकर जो दुर्भिक्ष आदि सर्व बाधा को नष्ट कर सुख उत्पन्न करता है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == तीर्थ : == रत्नत्रयसंयुक्त: जीव: अपि, भवति उत्तमं तीर्थम्। संसारं तरति यत:, रत्नत्रयदिव्यनावा।। —समणसुत्त : ५१४ (वास्तव में) रत्नत्रय से सम्पन्न जीव ही उत्तम तीर्थ (तट) है, क्योंकि वह रत्नत्रयरूपी दिव्य नौका द्वारा संसार—सागर को पार करता है।