तक्षशिला!
तक्षशिला Former name of the present city of Punjab ‘Taiksila’. वर्तमान टैक्सिला, उत्तर पंजाब का एक प्रसिद्ध नगर। सिंधु नदी से जेहलम तक समस्त प्रदेश का नाम तक्षशिला था, जिस पर सिकंदर के समय राजा अम्भी राज्य करता था। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
तक्षशिला Former name of the present city of Punjab ‘Taiksila’. वर्तमान टैक्सिला, उत्तर पंजाब का एक प्रसिद्ध नगर। सिंधु नदी से जेहलम तक समस्त प्रदेश का नाम तक्षशिला था, जिस पर सिकंदर के समय राजा अम्भी राज्य करता था। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशुध्दी लब्धि – Vishuddhi Labdhi. Attainment of passionfreeness causing right perception. सम्यक्त्व प्राप्त कराने वाली ५ लब्धियों में एक लब्धि, साता वेदनीय आदि शुभकर्मो के बंध योग्य परिणाम का नाम विशुध्दि है उसकी प्राप्ति होना विशुध्दि –लब्धि है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल अनुभाग – Pudgala Anubhaga. Fruitional power of Karmas (Pudgal). ज्वर आदि रोगों के उत्पन्न करने और विनाश करने का नाम पुद्गलानुभाग है, अर्थात् पुद्गलकर्मों के शुभाशुभ फल देने की शक्ति “
चन्द्रकान्तशिला The cliffs of moon-stone having melting property. चन्द्रकान्त मणि से निर्मित एक शिला , ये शिलाएं रात्री में चन्द्रमा की किरणों का स्पर्श पाकर द्रवीभूत होने लगती हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रज्ञप्ति – Pragyapati. Name of ruling female demigod of Lord Sambhavanath, A type of super power. सम्भवनाथ भगवान की शासन देवी का नाम, विधाधरों की एक विधा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्य (तत्त्व) – Punya (Tattva) Merits, Pious qualities or elements. जीव के दया, दानादि रूप शुभ परिणाम जिससे आत्मा विशुद्ध हो पुण्य कहलाते हैं “
चन्द्रदेव Son of Jarasandh, A type of stellar deities. जरासंध का पुत्र, ज्योतिश्का देवों के ५ भेदों में से एक भेद ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मरण : == एकं पण्डितमरणं, छिनत्ति जातिशतानि बहुकानि। तद्मरणे मत्र्तव्यं, न मृत: सुमृत: भवति।। —समणसुत्त : ५७० एक पंडित मरण (ज्ञानपूर्वक मरण) सैकड़ों जन्मों का नाश कर देता है। अत: इस तरह मरना चाहिए, जिससे मरण सुमरण हो जाए। एकं पण्डितमरणं, प्रतिपद्यते सुपुरुष: असम्भ्रान्त:। क्षिप्रं स मरणानां, करिष्यति…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचास्तिकाय – Panchaastikaaya. A great treatise written by Acharya Kund-kund. आचार्य कुन्द-कुन्द (ई.127-179) द्वारा रचित ग्रंथ “
गृहपति The chief person of the house, A Jewel of Chakravarti (emperor). घर का प्रबंधक , चक्रवर्ती का एक सजीव रत्न।[[श्रेणी:शब्दकोष]]