पार्श्वस्थ (साधु)!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वस्थ (साधु) – Parsvastha (Sadhu). Saints not observing the duties of a saint life. इंद्रिय, कषाय और विषयों से पराजित होकर चरित्र को तृण के समान समझने वाले मुनि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वस्थ (साधु) – Parsvastha (Sadhu). Saints not observing the duties of a saint life. इंद्रिय, कषाय और विषयों से पराजित होकर चरित्र को तृण के समान समझने वाले मुनि “
गगनचन्द्र Name of spiritual initiator of ‘Bali’. सुग्रीव के भाई बाली के दीक्षा गुरु ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरसेना – Varasenaa.: Name of the first chief Aryika (Ganini) in the holy assembly of Lord Vasupujya. भगवान वासुपूज्य के समवशरण में मुख्य आर्यिका (गणिनी) ” अपरनाम ,सेनार्या , सेना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायचूलिका – Nyaayachoolikaa. Name of a book written by shri Aklanka Bhatt. श्री अकलंक भट्ट (ई. 640-680) कृत एक न्याय ग्रंथ “
गन्धर्वविवाह A kind of marriage conducted by mutual pledge. इसमें स्त्री पुरूष स्वयं एक दुसरे को वर लेते हैं, कोई वैवाहिक विधि नहीं होती ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वनभूमि – Vanabhoomi: A land of natural temples with temple-trees (Chaitya Vriksh). अकृत्रिम चैत्यालयों को एक भूमि जिसमे चैत्यवृक्ष होते हैं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == ज्ञान : == सुत्तं अत्थनिमेणं, न सुत्तमेत्तेण अत्थपडिवत्ती। अत्थगई पुण णयवाय गहणलीणा दुरभिगम्मा।। —सन्मति तर्क् प्रकरण : ३-६४ सूत्र (शब्द पाठ) अर्थ का स्थान अवश्य है, परन्तु मात्र सूत्र से अर्थ की प्रतिपत्ति नहीं हो सकती। अर्थ का ज्ञान तो गहन नयवाद पर आधारित होने से बड़ी कठिनता…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपरिणाम – Viparinama. Changed results. सत् के द्वारा अवस्थान्तर की प्राप्ति करना विपरिणाम है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकषाय – Nokashaaya. Subsidiary passion, Quasi passion. ईषत् अर्थात् किंचित् अर्थ में ‘नञ्’ का प्रयोग होने से किंचित् कषाय को अकषाय यो नोकषाय कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वध –Vadha: Killing,Beating violently. मारना – हिंसा करना (आयु ,इन्द्रिय ,श्वासोच्छ्वास का जुदा कर देना ),अहिंसाणुव्रत का एक अतिचार ; दंड आदि से मारना पीटना “यहाँ वध का अर्थ प्राणों का वियोग करना नहीं लिया है “