दोष- दषर्शन!
दोष- दषर्शन Viewing defects of one. अवगुणों और गलतियों को देखना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दोष- दषर्शन Viewing defects of one. अवगुणों और गलतियों को देखना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतितंत्र – Pratitantra. Ambiguous meaning (indistinct). एक शास्त्र में सिद्ध और दूसरे शास्त्र में असिद्ध अर्थ प्रतितंत्र कहलाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाहुबली (कवि) – Bahubali (Kavi). A Kannad poet, the writer of ‘NagkumarCharitra’. नागकुमार चरित्र के रचियता एक कन्नड़ कवि (ई. सून १५००) “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनय तप – Vinaya Tapa. To Pay reverence to spiritual personalities with full purity. आभ्यंतर तप के ६ भेदों में एक भेद; मन, वचन और काव्य की शुध्दिपूर्वक दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप और वीर्य तथा इनके धारी योगियों के प्रति विनय करना ” विनय ४ प्रकार का है – दर्शन, ज्ञान, चारित्र…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्कल – Puskala. An area of the eastern Videh (region), Name of a summit & its protecting deity of Ekashail Vakshar situated in the eastern Videh (region). पूर्व विदेह का एक क्षेत्र, पूर्व विदेह स्थित एकशैल वक्षार का एक कूट एवं उसका रक्षक देव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुषपुंडरीक – Purusapumdarika. Name of the main listener in the Samavsharan of Lord Anantnath, Name of the 6th Narayan. भगवान अनन्तनाथ के समवसरण में मुख्य श्रोता का नाम, छठे नारायण का नाम “
दिग्विजय Great victory or world conquest. महान विजय अर्थात् चक्रवर्ती द्वारा छह खंडों की विजय ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणिधान – Pranidhaana. Concentrating the mind on particular object. स्मरण की इच्छा से मन को एक स्थान में लगाने का ‘नाम’ प्रणिधान है ” परिणाम, प्रयोग व प्रणिधान ये एकार्थवाची शब्द है “