त्रसकाय!
त्रसकाय Mobile beings (two sensed to five sensed beings). स्थावर जीवों को छोडकर दो इन्द्रियों से पंचेन्द्रिय तक के जीव । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रसकाय Mobile beings (two sensed to five sensed beings). स्थावर जीवों को छोडकर दो इन्द्रियों से पंचेन्द्रिय तक के जीव । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तत्सेवी A fault of criticism. आलोचना का एक अतिचार। बडे प्रायश्चित से बचने हेतु पाश्र्वस्थ मुनि का गुरू के पास न जाकर पाश्र्वस्थ मुनि के पास अपने दोष कहना। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
तैतिल A country situated in Bharat kshetra (region). भरत क्षेत्र में स्थित एक देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जघन्य योगस्थान Lowest grade of vibratory activity of soul. स्थान प्ररूपणा के अनुसार श्रेणि के असंख्यातवें भाग मात्र जो असंख्यात स्पर्धक हैं उनका एक जघन्य योग स्थान होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सव्यभिचार – Savyabhichaara. A vallacy causing both favour & opposition, an inconclusive fallacy. एक हेत्वाभास । पक्ष व विपक्ष दोनों को स्पर्ष करने वाला हेतु । यह साधारण, असाधारण व अनुपसंहारी तीन प्रकार का होता है।
तेईस सिंह Twenty three lions-the 1st dream of Bharat Chakravarti (an emperor) out of 16 dreams. भरत चक्रवर्ती को आए 16 स्वपनों में प्रथम स्वपन । इसका फल है वीर के अतिरिक्त 23 तीर्थंकरों के समय दुष्ट नयों की उत्पत्ति का अभाव होगा । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जघन्य अंतरात्मा Beings with right faith but not observing vows. तत्त्व श्रद्धा के सात्घ व्रतों को न रखने वाले अविरत सम्यग्दृष्टि जीव ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तत्प्रतियोगी knowledge of relative imagination of matters or anything else. यह प्रदेश उस प्रदेश से दूर है इस प्रकार का ज्ञान तत्प्रतियोगी नाम का प्रत्यभिज्ञान कहलाता है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
तुल्य बल विरोध Having opposition equally. विरोध का एक प्रकार, ज्ञान को मान लेने पर सब पदार्थें का शून्यपना नहीं बन पाता है और सबका शून्यपना मान लेने पर स्वसंवेदन की सत्ता नहीं ठहरती है यह तुल्य बल विरोध है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]