विनय संपन्नता!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनय संपन्नता – Vinaya Sampannata. Reverence with respect (humble reverence). षोडशकारण भावना का एक भेद; ज्ञान आदि गुणों और उनके साधक गुरुजनों का यथायोग्य रीती से आदर सत्कार करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनय संपन्नता – Vinaya Sampannata. Reverence with respect (humble reverence). षोडशकारण भावना का एक भेद; ज्ञान आदि गुणों और उनके साधक गुरुजनों का यथायोग्य रीती से आदर सत्कार करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेंत – Veinta. Cane, A stick. वेत्त, लाठी ” संज्वलन मान कषाय का दृष्टन्त “
उपदेश रूचि Right belief generated by a sermon, preaching. उपदेश सम्यक्त्व- तीर्थंकर आदि महापुरूषों के जीवन चरित्र को सुनकर जो सम्यग्दर्शन होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूक संज्ञा–Muuk Sangya. An infraction of meditative relaxation or posture of meditation. कायोत्सर्ग का एक अतिचार” गूंगे की भाति हुनकर कटे हुए खड़े होना, अंगुली से किसी वस्तु की ओर संकेत करते हए खड़े होना”
एकांत स्थान Absolute place, Secluded place. जहाँ किसी का आना जाना न हो ऐसा शून्य स्थान।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
एक हजार आठ A number – 1008 (characteristics of Tirthankar – Jaina Lord. तीर्थंकर भगवान के 1008 लक्षण होते हैं। सहस्रनाम स्तोत्र में भवान के 1008 नाम हैं। सहस्रनाम विधान में 1008 अध्य्र हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्रशरीर काल–Mishra Shareer Kaal. Duration of growth time period of complete body formation. आहार ग्रहण से शरीर पर्याप्ति तक का काल”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृगारिदमन–Mragaridaman. A king of Rakshas dynasty. रक्षास्वंश का एक विघाधर राजा”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == वाणी : == पुव्विं बुद्धीए पासेत्ता, तत्तो वक्कमुदाहरे। अचक्खुओ व नेयारं, बुद्धिमन्नेसाए गिरा।। —व्यवहारभाष्य पीठिका : ७६ पहले बुद्धि से परखकर फिर बोलना चाहिए। अंधा व्यक्ति जिस प्रकार पथ—प्रदर्शक की अपेक्षा रखता है, उसी प्रकार वाणी बुद्धि की अपेक्षा रखती है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक काययोग –VaikriyikaKayayaga Vibration in the soul points of transformable body of deities & hellish beings. वैक्रियिक शरीर में या उसके द्वारा जो आत्मा के प्रेदशो में परिस्पंदन होता हैं उसको वैक्रियिक काययोग कहते हैं “