आयुकर्मप्रकृति!
आयुकर्मप्रकृति A karmic nature causing age binding. जिस कर्म के उदय से यह जीव निश्चित समय तक नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देवच के शरीर में रूका रहे।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आयुकर्मप्रकृति A karmic nature causing age binding. जिस कर्म के उदय से यह जीव निश्चित समय तक नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देवच के शरीर में रूका रहे।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वप्रतिभास – Svapratibhaasa. Self apprehension.स्वप्रतिभास को केवल दर्शन कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वनिमित्तक उत्पाद – Svanimittaka Utpaada. Modification or change due to own causes (reg. any matter).स्व के निमित से होने वाला परिणमन; प्रत्येक द्रव्य मे अगुरुलधु गुण का छह स्थान पतित हानि और वृद्वि के द्वारा वर्तन होता रहता है। अतः इनका उत्पाद और व्यय स्वभाव से होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति (ध्रुव – अध्रुव ) – Prakrti (Dhruva –Adhruva). Karmic nature with continuous & non-continu-ous binding. ध्रुव – अध्रुव प्रकृति; बंध व्युच्छित्ति पर्यत जिनका बंध होता रहे वह ध्रुव बंधी तथा जिनका बंध होकर रुक जाता है वह अध्रुव बंधी प्रकृतियां हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वच्छाहार – Svacchaahaara. Pure food.शुद्व सात्त्विक आहार।
उत्कट Exceeding the actual measure, Vast, A king of Rakshas dynasty. वास्तविक माप से अधिक राक्षस वंश का एक राजा।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयपुरी A city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद्वादोपनिषद् – Syaadvaadopanisad. Name of a Book written by Acharya Somsen.आचार्य सोमसेन (ई0 943-968) कृत स्याद्वाद न्याय का प्ररुपक संस्कृत भाषाबद्व ग्रंथ।
जनादर्शन A Marathi poet and writer of ‘Shrenik Charit’, An epithet of Vishnu. मराठी कवि , श्रेणिक चरित के रचयिता (ई. १७६८) , विष्णु को भी जनादर्शन कहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]