सहस्राम्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्राम्र – Sahasraamra. Forest of mango trees, the initiation & ommiscience forest of Lord Shantinath & Neminath. आम्रवृक्षों का वन, भगवान शांतिनाथ का दीक्षा एवं केवलज्ञान वन ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्राम्र – Sahasraamra. Forest of mango trees, the initiation & ommiscience forest of Lord Shantinath & Neminath. आम्रवृक्षों का वन, भगवान शांतिनाथ का दीक्षा एवं केवलज्ञान वन ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रबाहू – Sahasrabaahoo. Father’s name of the 8th Chakravarti (emperor) Subhaum. 8 वें चक्रवर्ती सुभौम के पिता ।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == दान : == जह उसरम्मि खित्ते पइण्णवीयं ण िंक पि रुहेइ। फलवज्जियं वियाणह, अपत्तदिण्णं तहा दाणं।। —वसुनन्दि श्रावकाचार : २४२ जिस प्रकार ऊसर खेत में बोया गया बीज कुछ भी नहीं उगाता है, उसी प्रकार अपात्र में दिया गया दान भी फलरहित—सा है। साहूणं कप्पणिज्जं, जं न वि दिण्णं…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहसातिचार – Sahasaatichaara. Sudden inclination towards inauspicious thoughts & speech. अशुभवचन और अशुभ विचारो में वचन की और मन की तत्काल अविचार पूर्वक प्रवृत्ति होना, इसको सहसातिचार कहते है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भास्करी – Bhaskari. A type of super power. रावण को प्राप्त एक विधा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य भंग- आचार्य अनन्तकीर्ति (ई.श. 8 मध्यपाद) द्वारा रचित एक ग्रंथ। PramanyaBhanga- A book written by acharyaAnantkriti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृतप्राभृत- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 13 वाँ भेद, यह ज्ञान अनुयोग समास ज्ञान में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। PrabhrtaPrabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
आत्मनिन्दन Self – condemnation. सम्यग्दृष्टि के द्वारा अपने दोषों की स्वयं निन्दा और गर्हा करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ऊर्ध्वव्यतिक्रम Exceeding the limits set in the direction, namely upwards. दिग्व्रत का तीसरा अतिचार लोभवश ऊपर की सीमा का उल्लंघन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणावाय पूर्व- 14 पूर्वो में से बारहवाँ पूर्व, जिसमें षरीर चिकित्सा आदि अश्टांग आयुर्वेद, भूतिकर्म, जागुलिक कर्म (विश विद्या) और प्राणायाम के भेद प्रभेदों का वर्णन होता है। Pranavayapurva-A (purva) part of scriptural knowledge (Shrutgyan)