पंच प्रायश्चित सूत्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच प्रायश्चित सूत्र – Pancha Praayashchita Sutra. Five particular religious fomulae related with repentance. आगम, श्रुत, आज्ञा, धारणा, जीत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच प्रायश्चित सूत्र – Pancha Praayashchita Sutra. Five particular religious fomulae related with repentance. आगम, श्रुत, आज्ञा, धारणा, जीत “
गणधर Chief disciple (Gandhar) of Teerthankar (Jaina lord). तीर्थंकर के प्रमुख शिष्य इनके अन्य नाम गणी, गणीश ,गणपति ,गणेश आदि भी हैं। ये समस्त श्रुत के पारगामी, सातों ऋद्धियों के धारक, मुनियों के स्वामी एवं चार ज्ञानधारी होते हैं। [[महावीर स्वामी के गणधर]] [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वस्त्र – Vastra.: Clothes, Dress, Garments. सिले हुए कपड़े,परिधान “ये 5 प्रकार के होते हैं –अंडज,वोंडज,रोमज ,वक्कज,चर्मज “
उभयद्रव्य A substance common to both sides (in Purva and Apurva krishties). जो द्रव्य पूर्व व अपूर्व दोनों कृष्टियों को दिया उसे उभय द्रव्य कहते है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सोमयश – Somayasha. The grandson of Lord Rishavhdev, the son of Lord Bahubali. भगवान वृषभदेव का पौत्र एवं बाहुबलि का पुत्र, सोमवंष अर्थात चन्द्रवंश की स्थापना इसी के नाम पर हुई थी ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेष उपयोग – Vishesha. Special consciousness. ज्ञानोपयोग या साकारोपयोग, जो सामान्य – विशेशात्म्क पदार्थो के आकार को ग्रहण करे अर्थात् ज्ञान पदार्थो को विशेष करके जानता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वल्लभा – Vallabhaa.: Beloved woman (female divinity). प्रिय स्त्री (देवों की मुख्य देवी ) “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवर – Vivara. The opening, cracks, holes, The big holes in the bottom of Lavan ocean celled as patal (Lower world). दरार, छिद्र, अंतराल, स्थान, अवकाश, लवण, समुद्र की तली में स्थित बड़े –बड़े खड, जिन्हें पाताल भी कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्द्धमान महावीर – Varddhmaana Mahaveera.: Name of 24th tirthankar (Jain-Lord). वर्तमान चौबीसीके अंतिम 24वें तीर्थंकर “कुण्डलपुर के राजा सिद्धार्थ एवं महारानी त्रिशला के पुत्र “इनकी आयु 72 वर्ष थी एवं इनके 11 गणधर थे “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचज्ञान – Panchagyaana. Five kinds of knowledge (sensory, scriptural, clairvoyanc, telepathic & omniscience). मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यय एवं केवलज्ञान यही पंचज्ञान प्रणाम कहलाते है “