पंचस्तूपसंघ!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचस्तूपसंघ – Panchstoopasangha. Name of the group of Acharya Veersen. प्रसिद्धधवलाकार आचार्य श्री वीरसेन (ई. 770-827) स्वामी का संघ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचस्तूपसंघ – Panchstoopasangha. Name of the group of Acharya Veersen. प्रसिद्धधवलाकार आचार्य श्री वीरसेन (ई. 770-827) स्वामी का संघ “
त्रिलोकसार A book of Karnanuyog written by Acharya Nemichandra Siddhant Chakravarti. आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती द्वारा ई.श.11 पूर्व में रचित करणानुयोग से संबंधित लोकविभाग विषय पर प्राकृत ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचक –Vachaka.: One well versed in 12 Angas (Shrutgyan-scriptural knowledge),Speaker,Important words. 12 अंग का ज्ञाता वाचक कहलाता है, बोलने वाला (वक्ता ) अथवा महत्वपूर्ण शब्द “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचशिर – Panchashira. Ruling deity Nagendradev of Vajraprabh summit situated at Kundal mountain. कुंडल पर्वत पर स्थित वज्रप्रभकूट का स्वामी नागेन्द्रदेव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूप्य – रूक्मि पर्वत छठे कूट व देव का नाम। Rupya-name of the 6th summit of rukmi mountain and its deity
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यति सम्मेलन– Yati Sammelan. Conference of saints. दिगम्बर जैन सभी साधुओ (चतुर्विधसंघो) का एक जगह एकत्रित होना, मिलना” प्रति पाँच वर्ष में युगप्रतिक्रमण के नाम से संघों के मिलने का आगम प्रमाण मिलता है” श्रीधरसेनाचार्य ए समय वेणाक नदी के तट पर ऐसा यतिसम्मेलन हुआ था जहा से दो मुनि शिष्यों को उन्होंने…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचमी व्रत – Panchami vrata. A particular type of vow (fasting). पांच वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शु.5 को उपवास करना ” इसे आकाशपंचमीव्रत भी कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सत्त्व योग्य – Prakrti Sattva yogya. Karmic nature capable of remaining in exist-ence. सत्ता योग्य कर्म प्रक्रतियां जो १४६ हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचनिद्रा – Panchanidraa. Five kinds of obscuring Karmas in gaining right perception. दर्शनावरणीय कर्म के 9 भेदों में 5 भेद; निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगृद्धि “
देशावधि A part of clairvoyance (partial direct knowledge). अवधिज्ञान का प्रथम भेद ; यह अवधिज्ञानावरण के क्षयोपशम से होता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]