भाव!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव – Bhava. Volition, feeling, thought – activity, Nature of sen-tient and non-sentient matters. जीव के परिणाम, चेतन व अचेतन द्रव्यों के अनेकों स्वभाव “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव – Bhava. Volition, feeling, thought – activity, Nature of sen-tient and non-sentient matters. जीव के परिणाम, चेतन व अचेतन द्रव्यों के अनेकों स्वभाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवगुप्त – Shivagupta. Name of the initiator (an acharya) of Chakravarti (emperor) Sanatkumar, Name of the disciple of Gupti-riddhi saint of Punnat group. चक्रवर्ती सनत्कुमार के दीक्षागुरु ” पुन्नाट संघी गुप्तिऋद्धि के शिष्य तथा अर्हदवलि के गुरु, समय- ई.स. 33 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निस्तारण मंत्र – Nistaarana Mantra. A pain relieving Mantra (mystic words). कष्ट निवारण मंत्र, गर्भान्वय क्रियाओं में इन मंत्रों से होम होता है “
देवसेन An Acharya, disciple of Veersen (Dhavalåkar).आचार्य ई. 820-870 मं वीरसेन (धवलाकार) के शिष्य महाधवल सिद्धांत 40,000 श्लोक के कर्ता। [[श्रेणी: शब्दकोष ]] या Father’s name of the 5th Teerthankar (Jaina-Lord) of Videh kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित 5 वें तीर्थंकर के पिता का नाम। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निसर्ग क्रिया – Nisarga Kriyaa. Encouraging for the sinful or wrong activities, Abetting. आस्रव को बढ़ाने वाली श्रावक की 25 क्रियाओं में सत्रहवीं क्रिया; जो प्रवृत्ति पाप का कारण है उसमें सम्मति देना “
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == कुशिष्य : == देंतोच्चिय उवएसं हवइ कयत्थो गुरु सुसीसाणं। विवरीयाण निरत्थो दिणयरतेओ व्व उलुयाणं।। —पउमचरिउ : ५०५ सुशिष्यों को उपदेश देने पर गुरु कृतार्थ होता है, किन्तु जिस तरह उल्लू के लिए सूर्य निरर्थक होता है, उसी तरह विपरीत अर्थात् कुशिष्यों को उपदेश देने पर वह निरर्थक हो जाता है।…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन (अनालोच्य) – Vachan (Anaalochya). False interpretation of something. असत्य वचन के 4 भेदों में एक भेद ; विपरीत सत् पदार्थ का प्रतिपादन करना ” जैसे – बैल है उसका विचार न कर यहाँ घोडा है ऐसा कहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्क्रियत्व शक्ति – Nishkriyatva shakti. Supreme power of inactivity (of Siddhas). समस्त कर्मों के अभाव से प्रवृत्त आत्मप्रदेशों की निस्पन्द्ता स्वरूप निष्क्रियत्व शक्ति है, जो कि सिद्ध अवस्था में प्रगट होती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिसंघ – Namdisamgha A group of Digambara jain Saints. दिगम्बर जैन साधुओं का एक संघ ”