बंध विधान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध विधान- प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश के भेद से भेद को प्राप्त हुए बन्ध के भेदों को बंध विधान कहते है। Bandha Vidhana- Constitution of Karmic binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध विधान- प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश के भेद से भेद को प्राप्त हुए बन्ध के भेदों को बंध विधान कहते है। Bandha Vidhana- Constitution of Karmic binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्दिक् गति – Saddika Gati. Six directional motion of beings, binded with Karmas. कर्मबद्ध जीवों का कर्मनिमित्तक षट्दिक अर्थात 6 दिशाओं में गमन होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रासुक- जिसमे से एकेनिद्रय स्थावर जीव निकल गये हैं वह प्रासुक द्रव्य कहलाता है। Prasuka- Sterilized, boiled water, milk etc.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्खंडागम – Satkhandaagama. Six parts of great Jaina philosophical literature containing Karmic theory. कर्म सिद्धांत विषयक ग्रंथ; इसकी उत्पत्ति मूल द्वादशांग श्रुतस्कंध से हुई है ” इसके 6 खंड हैं (देखे- षट्खंड टीका) ” पहले खण्ड के सूत्र पुष्पदंत आचार्य (ई. 106-136) के बनाये हुए हैं, उनका शरीरान्तहो जाने के कारण शेष 4 खण्डों…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रविनंदि – शट्खण्ड आगम के ज्ञाता, बप्पदेव के षिक्षा गूरू एक आचार्य। Ravinandi-Name of an acharya
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेताम्बर पराजय – Shvetaambara Paraajaya. Name of a book written by Pandit Jagannath. पंडित जगन्नाथ (ई.सन् 1646) कृत कवलि भुक्ति निराकृति विषयक एक रचना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधच्छेद-बंध का नाश। Bandhaccheda- Bondage dissociation, Bond extermination
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बुध – Budha. Name of a planet , The great learned one. एक ग्रह, यथास्थित वस्तु तत्त्व को सार व असार के विषय विभाग की विचारणा के द्वारा जो जानते हैं वे बुध हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रोत्र (इंद्रिय) – Shrotra (Indriya). Ears, the hearing organ of the body. कर्ण इन्द्रिय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रावचन – श्रुतज्ञान का अपरनाम। प्रवचन अर्थात प्रकृश्ट शब्द समूह द्वारा होने वाला ज्ञान या द्रव्यश्रुत प्रावचन कहलाता है। Pravacana- Another name of shrutgyan (scriptural knowledge)