गुणगुरु!
गुणगुरु Perfect or virtuous chief saint. गुणों में प्रधान गुरु ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गुणगुरु Perfect or virtuous chief saint. गुणों में प्रधान गुरु ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगोपभोगसंख्यान:Vow of limiting use of consumables. एक गुण व्रतःइसमें भोग और उपभोग की वस्तुओं की मर्यादा की जाती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाववचन – Bhavavachan. Volitional speech. वचन; जो वीर्यान्तराय और मतिज्ञानावरण तथा श्रुतज्ञानावरण कर्मों के क्षयोपशम और अंगोपांग नामकर्म के निमित्त से होता है ” यह पौद्गलिक होता है “
ग्रैवेयिक देव A type of deities (residents of 9 Graiveyaks). १६ स्वर्गों से आगे ९ ग्रैवेयिक में रहने वाले देव ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संविद् – Sanvid. Knowledge obtained by right method, the perceptive knowledge. जिससे यथार्थ रीति से वस्तु का ज्ञान हो उस ज्ञान को संविद् कहते हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यमलीक–Yamaliik. Name of an omniscient personality in the assembly of Lord Mahavira. भगवान् महावीर के तीर्थ में हुए एक अन्कृत केवली”
गव्यूति A traditional measurement unit. एक कोस या दो मील की दूरी का माप ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर कथा – Bhaktamara Katha. Name of tales written by Pandit Raymallaji and Jaichand Chhabda. पं. रायमल्ल (ई. १६१०) एंव पं. जयचन्द छाबड़ा (ई. १८१३) द्वारा रचित कथा “