फलचारण ऋद्धि!
फलचारण ऋद्धि A type of super natural power of walking over the fruits without harming its insects. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु फलों में रहने वाले जीवों को पीड़ा पहुंचाए बिना उनके ऊपर से चलने में समर्थ होते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
फलचारण ऋद्धि A type of super natural power of walking over the fruits without harming its insects. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु फलों में रहने वाले जीवों को पीड़ा पहुंचाए बिना उनके ऊपर से चलने में समर्थ होते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरर्वर्त्यकर्म – Nirvartyakarma. New research by a performer, to produce something new. कर्ता के द्वारा जो पहिलें न हो ऐसा नवीन कुछ उत्पन्न किया जाना “
आस्रव त्रिभंगी A book on karmic theory, Hindi translation of which is done by Ganini Shri Gyanmati Mataji. कर्म सिद्धान्त विषयक एक ग्रन्थ । इसका हिन्दी अनुवाद गणिनी श्री ज्ञानमति माताजी कृत है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य हेतु – Bahya Hetu. External causes. बाहरी निमित या कारण ” जैसे – अन्य द्रव्यों के (बाह्याहेतुरूप) संयोग से आत्मा का रागदिरूप परिणमन होना “
दुष्प्रकृष्ट With having much cruelty or wickedness. बुराई की उत्कृष्टता।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आसुरी Pertaining to evil spirits, A type of low status deities. निम्न वृत्ति सहित नीच गति के देवों में एक।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्मलनाथ – Nirmalanaatha. Name of the 16th predestined Tirthankar. भावीकालीन 16 वें तीर्थंकर का नाम (श्रीकृष्ण का जीव) “
दूरार्थ Far reaching, far off (related to great personalities, places etc.). जो पदार्थ क्षेत्र से दूर है या काल की अपेक्षा राम , रावण आदि दूरार्थ कहलाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आहारक समुद्घात Bondage of Aharak Vargana for the formation of translocational body (Aharak Sharir). सूक्ष्म तत्व के विषय में जिसे जिज्ञासा उत्पन्न हुई है उन परम ऋषि के मस्तक में से मूल शरीर से सम्पर्क बनाये रखकर एक हाळा ऊँचा सफेद रंग का सवाँग सुन्दर पुतला निकलकर अन्तर्मुहुर्त में जहाँ कहीं भी केवली भगवान को…