वाचनिक आस्रव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचनिक आस्रव– Vaachanika Aasrava.: Karmic influx caused due to auspicious & inauspicious speeches. शुभ-अशुभ वचनों से होने वाला शुभाशुभ कर्मास्रव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचनिक आस्रव– Vaachanika Aasrava.: Karmic influx caused due to auspicious & inauspicious speeches. शुभ-अशुभ वचनों से होने वाला शुभाशुभ कर्मास्रव “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावास्त्रव – Bhavasrava. Flowing of Karmas. आत्मा के जिस परिणाम से पुदगल द्रव्य कर्म बनकर आत्मा में आता है उस परिणाम को भावास्त्रव कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलसप्तमी व्रत – Sheelasaptamee Vrata. A kind of fasting foe 7 years with specific procedure. सात वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल 7 को उपवास तथा णमोकार मंत्र त्रिकाल जाप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचविंशतिका – Panchavinshatikaa. Name of a book written by Acharya Somdev-2. आचार्य सोमदेव-2 (ई. सन् 1062-1081) कृत एक ग्रंथ “
द्रव्य विशेष Excellence of a matter. जीव पुद्गलादि में अमूर्तिक-मूर्तिक विशेष धर्म । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर विधान – Bhakramara Vidhana. A worshipping book of Bhaktamar Stotra. एक पूजा विशेष जिसमें भक्तामर स्तोत्र के ४८ काव्य पढ़कर ४८ अधर्य चढ़ाते हुए भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है ” इसकी रचना गणिनी ज्ञानमती माताजी की शिष्या आर्यिका श्री चंदनामति माताजी के द्वारा की गई है ” अन्य लेखकों…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच भ्रष्ट मुनि – Pancha Bhrashta Muni. Saint with five types of faults. पार्श्वस्थ, कुशील, संसक्त (आहार का लोभी), अपगत (ज्ञान रहित), मृगचारी (स्वछन्द अर्थात् अनर्गल विहारी) मुनि “
द्रव्य प्रत्याख्यान Resolution for the renunciation of non-acceptable matters. अयोग्य आहार, उपकरण वगैरह पदार्थों को ग्रहण नहीं करूँगा ऐसा संकल्प करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वांछा – Vaanchaa.: Desire,Longing, a type of passion. इच्छा ,अभिलाषा “इसे ही परिग्रह कहा गया है “
उषित अन्न Stale food, Not edible. बासी व अमर्यादिक भोजन, अग्नि पर पकाये हुए अथवा गर्म घी में पकाये हुए पदार्थ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]