द्रव्य कर्म!
द्रव्य कर्म Gyanavaran etc. 8 Karmas are called Dravya Karma. ज्ञानावरण आदि आठों कर्मों को द्रव्य कर्म कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्य कर्म Gyanavaran etc. 8 Karmas are called Dravya Karma. ज्ञानावरण आदि आठों कर्मों को द्रव्य कर्म कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांतर सिद्व – Saantara Siddha. Beings to be salvated from Santar Gatri. अंतर-विच्छेद सहित होने वाले सिद्व।
द्रविड़ाचार्य Name of an Acharya promotor of Vedant literature. वेदांत साहित्य के प्रवर्तक एक आचार्य।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दोष- दषर्शन Viewing defects of one. अवगुणों और गलतियों को देखना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिष्ठाचार्य- जिनबिम्बादिक की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा कराने वाला जिनधर्म का दृढ श्रद्धानी, सदाचारी, शास्त्रज्ञ, निश्चय व्यवहार का ज्ञाता, देष कुल जाति से शुद्ध त्यागी या गृहस्थ श्रावक। pratisthacharya – the cheif one, the installator in the consecration celebration of ido installation
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाहुबली (कवि) – Bahubali (Kavi). A Kannad poet, the writer of ‘NagkumarCharitra’. नागकुमार चरित्र के रचियता एक कन्नड़ कवि (ई. सून १५००) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेशापचय- प्रदेषें की न्यमनता या ह्नास। pradesapacaya – deterioration of space points
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रदेश- आकाष के एक अविभगी अंष का नाम प्रदेष है अथवा आकाष का वह अंष जिसको एक अविभागी पुद्गल परमाणु रोके। pradesa – space point, location, point as decimal place.
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनय तप – Vinaya Tapa. To Pay reverence to spiritual personalities with full purity. आभ्यंतर तप के ६ भेदों में एक भेद; मन, वचन और काव्य की शुध्दिपूर्वक दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप और वीर्य तथा इनके धारी योगियों के प्रति विनय करना ” विनय ४ प्रकार का है – दर्शन, ज्ञान, चारित्र…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोगकर्म- कर्म का एक भेद; यह मन, वचन, काय प्रयोग कर्म के भेद से 3 प्रकार का होता है। Prayogakarma –A type of Karma