जिन-नामस्मरण की महिमा
जिन–नामस्मरण की महिमा ‘जअहिं जिणवर सोम अकलंक, सुरसण्णुअ विगअभअ । राअ-रोस-मअ-मोहवज्जिअ, मअणणासण भवरहिअ ।। विसअ सअल तइंदेव णिवज्जिअ ।।२०,५।। अर्थ– हे जिनवर ! आप निर्भर, सोम्य, अकलंक हैं, देवों से वन्दित हैं। आप राग, रोष, मद, मोह से रहित तथा काम के प्रभाव एवं भव से रहित हैं। हे देव ! आप में सम्पूर्ण विषय…