नवग्रह शांति स्तोत्र शंभु छन्द सिद्धों का वंदन इस जग में, आतम सिद्धी का कारण है। इनकी भक्ती से भक्त करें, दुर्गति का सहज निवारण है।। सब तीर्थंकर भगवंत एक दिन, सिद्धिप्रिया को पाते हैं। इसलिए सभी ग्रह की शांती में, वे निमित्त बन जाते हैं।।१।। नभ में जो सूर्य, सोम, मंगल, बुध, गुरु व…
श्री पंचपरमेष्ठी स्तोत्र (बृहत्) शंभु छंद अर्हन् के छ्यालिस गुण सिद्धों, के आठ सूरि के छत्तिस हैं। श्री उपाध्याय के पंचवीस, गुण साधु के अट्ठाइस हैं।। पांचों परमेष्ठी के गुणगण, एक सौ तेतालिस बतलाये। जो इनका नाम स्मरण करे, वह झट भवदधि से तर जाये।।1।। (चाल-हे दीनबन्धु—-।) जैवंत अरिहंत देव, सिद्ध अनंता।…
स्वयंभू स्तोत्र येन स्वयंबोधमयेन लोका आश्वासिता: केचन वित्तकार्ये। प्रबोधिता: केचन मोक्षमार्ग तमादिनाथं प्रणमामि नित्यम्।।१।। जिन्होंने स्वयं उत्पन्न हुए अपने ज्ञान से किन्हीं को आजीविका में लगाकर आश्वस्त किया और किन्हीं को मोक्षमार्ग में प्रबुद्ध किया उन आदिनाथ जिनको मैं सदा नमस्कार करता हूँ।।१।। इन्द्रादिभि: क्षीरसमुद्र-तोर्ये: संस्नापिता मेरुगिरौ जिनेन्द्र:। य: कामजेता जन-सौख्यकारी तं शुद्ध-भावादजितं नमामि।।२।।…
महावीराष्टक स्तोत्रम (पं. भागचन्द्रविरचित) यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचित:। समं भान्ति ध्रौव्य-व्ययजनि-लसंतोऽन्तरहिता:।। जगत्साक्षी मार्ग-प्रकटनपरो भानुरिव यो। महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे (न:)।।१।। अन्वयार्थ- (ध्रौव्य-व्यय-जनि-लसन्त:) ध्रुवता, विनाश, उत्पत्ति से शोभायमान (अन्तरहिता:) अन्त से रहित (चित-अचित: भाव:) चेतन अचेतन पदार्थ (मुकुर) दर्पण (इव) समान (यदीये चैतन्ये) जिनके चैतन्य में (समं भान्ति) एक साथ झलकते हैं (य:)…
श्री सरस्वती नाम स्तोत्रम् (अनुष्टुप् छंद) 1)सरस्वत्याः प्रसादेन, काव्यं कुर्वन्तु मानवा:। तस्मान्निश्चल-भावेन , पूजनीया सरस्वती।।१।। अर्थ:-श्री सरस्वती के प्रसाद से सभी मनुष्य काव्य को पूर्ण करते हैं, इसलिए वह सरस्वती देवी निश्चलभाव से सदा पूजनीय है। 2)श्री सर्वज्ञ मुखोत्पन्ना, भारती बहुभाषिणी। अज्ञानतिमिरं हन्ति, विद्या-बहुविकासिनी।।२।। अर्थ:-जो श्रीसर्वज्ञ वीतराग प्रभु के मुख-कमल से उत्पन्न हुई…
सरस्वती स्तोत्रम् (बसंततिलका छंद) चंद्रार्क-कोटिघटितो ज्ज्वल-दिव्य-मूर्ते ! श्रीचन्द्रिका-कलित-निर्मल-शुभ्रवस्त्रे ! कामार्थ-दायि-कलहंस-समाधिरूढे वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ! ।।१।। करोड़ों सूर्य और चन्द्रमा के एकत्रित तेज से भी अधिक तेज धारण करने वाली, चन्द्रकिरण के समान अत्यन्त स्वच्छ एवं श्वेत वस्त्र को धारण करने वाली, सकल मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली तथा कलहंस पक्षी पर…