पंचकल्याणक स्तोत्र
पंचकल्याणक स्तोत्र (गर्भकल्याणक स्तोत्र) दोहा तीर्थंकर प्रकृती यहाँ, महापुण्यफलराशि । मन वच तन से मैं नमूं, मिले सर्वसुख राशि।।१।। गीता छंद नगरी अयोध्या में पिता, श्री नाभिराजा के यहाँ। मरुदेवि माता गर्भ में, सर्वार्थसिद्धी से यहाँ।। पुरुदेवजिन आषाढ़ वदि, दुतिया सुउत्तराषाढ़ में। जिन गर्भ मंगल नित नमूं, इससे लहूँ सुखसात मैं।।१।। साकेत नगरी में पिता,…