सयलविहिविहाण!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सयलविहिविहाण – Sayalavihivihaana. Name of book in Apabransh language written by Naynandi. नयनंदि द्वारा (ई. 1043) कृत अप्रभंष भाषाबद्व श्रावकाचार।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सयलविहिविहाण – Sayalavihivihaana. Name of book in Apabransh language written by Naynandi. नयनंदि द्वारा (ई. 1043) कृत अप्रभंष भाषाबद्व श्रावकाचार।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र भाव–Mishra Bhav. A kind of reflection related to both destruction & subsidence of Karmas. क्षायोपशामिक भाव, जिसमे कर्मो का क्षय और उपशम दोनों होते है”
चारित्रभक्ति A composition written by Kundkund-Pujyapad Acharya. श्री कुंदकुंद एवं पूज्यादि आचार्य कृत संस्कृत -प्राकृत की १० भक्तियों में एक भक्ति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष स्वामित्व विधान – Sparssana Svaamitva Vidhaana. A type of Anuyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्ष अंतर विधान।
द्विचूड़ A king of Vidyadhar dynasty. विद्याधर वंश का एक राजा। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेषसम श्रोता–Meshsam Shrota. A type of silly listener. श्रोता का एक प्रकार, जो मेढ़े के समान टकटकी लगाकर देखते हुए सुनता है किन्तु अज्ञानतावश कुछ ग्रहण नहीं कर पाता”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षन – Sparssana. Touching, the sense of touch.5 इन्द्रियो मे प्रथम इन्द्रिय। शीत, उष्ण आदि का ज्ञान इसी से होता है।
द्वादशवर्षी दुर्भिक्ष Twelve years dearth or famine which caused the origination of the Shvetambar Jain sect. वीर निमार्ण के 133 वर्ष पश्चात् अर्थात् आज से लगभग 2400 वर्ष पूर्व पंचम श्रुतकेवली ‘भद्रबाहु’ के काल में उज्जैन आदि उत्तरभारत के क्षेत्रों में 12 वर्षीय दुर्भिक्ष (अकाल) पड़ा, जिसकी आचार्य भद्रबाहु द्वारा भविष्यवाणी सुनकर सभी दिगम्बर मुनि…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैल – Shaila. A rock, a crag (mountain), Another name of Sumeru mountain. चट्टान, घातिया कर्मो की चतुस्थानीयअनुभाग शक्ति का उदाहरण, सुमेरु पर्वत का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्नातक – Snaataka. Omniscients (those who have destroyed all 4 destructive karmas).निग्र्रन्ध साधुओ के 5 भेदो मे एक भेद है। जिन्होने 4 धातिया कर्मों का नाष कर दिया है। उन केवलियो (13वे एवं 14वे गुणस्थानवर्ती) को स्नातक कहते है।