उच्चगोत्र कर्मप्रकृति!
उच्चगोत्र कर्मप्रकृति A type of karmic nature (reg. higher status). वह कर्म जिसके उदय से लोक पूजित या लोक मान्य कुल में जन्म हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उच्चगोत्र कर्मप्रकृति A type of karmic nature (reg. higher status). वह कर्म जिसके उदय से लोक पूजित या लोक मान्य कुल में जन्म हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आर्य कूष्मांड देवी A supernatural power. एक विद्याधर विद्या का नाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परस्पर परिहार विरोध :Mutual repelling of Virtues for knowing their existence.गुणों का एक दूसरे के साथ परिहार करके उनका अस्तित्व मानना ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजगार स्थिति बंध – Bhujagara Sthiti Bamdha. Binding of durational bondage of Karma increase- ingly. जहां पहले कम स्थिति बंध होता था, आगे व्रद्धि के साथ स्थिति बंध होना “
त्रिदंशजय A king of Ikshvaku dynasty. इक्ष्वाकुवंश का एक राजा । अंत में पुत्र को राज्य सौंपकर दीक्षा ली थी। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीरत्याग – Shareeratyaaga. Renouncement related to the attachment of body. व्युत्सर्ग तप या व्युत्सर्ग प्रायश्चित (कायोत्सर्ग), नियत व अनियत काल के लिए शरीर से ममत्व बुद्धि छोड़ना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभीषण – Vibhishana. The younger brother of Ravan, who ultimately initiated with Ram Chandra and became a heav-enly deity. रावण का छोटा भाई व रत्नश्रावा का पुत्र ” अंत में राम के साथ दीक्षित हुआ और अनुदिश विमान में देव हुआ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विपरिणामना – Viparinamana. Change or modification in state. सत् के द्वारा अवस्थान्तर की प्राप्ति होना ” यह प्रक्रति विपरिणामना, स्थितिविपरिणामना, अनुभाग- विपरिणामना, प्रदेशविपरिणामना ४ प्रकार की होती है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सुख : == जं च कामसुहं लोए जं च दिव्वं महासुहं। वीतरागसुहस्सेदे णंतभागं पि णग्घई।। —मूलाचार : १४४ लोक में काम—भोगों से मिलने वाला सुख और देवों को मिलने वाला महासुख उस सुख का अनंतवाँ हिस्सा भी नहीं, जो वीतराग को प्राप्त हुआ करता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रबाहुचरित – Bhadrabahucarita. A book written by Acharya Ratnakirti. आचार्य रत्नकीर्ति (ई. १५१५) द्वारा रचित एक ग्रंथ “