चतुरंक!
चतुरंक Infinite increase. असंख्यातभाग वृद्धि की चतुरंक संज्ञा है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुरंक Infinite increase. असंख्यातभाग वृद्धि की चतुरंक संज्ञा है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतक्षेत्र – Bharataksetra. Name of a great region. जंबूद्वीप के ७ क्षेत्रों में प्रथम क्षेत्र, इसके ५ म्लेच्छ, १ आर्य ऐसे ६ खंण्ड हैं “
त्रिलोकासार टीका A commentary book written by Acharya Madhava Chandra. आचार्य माधवचन्द्र त्रैविद्य कृत त्रिलोक ग्रंथ की टीका। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शरीर : == मांसास्थिकसंघाते, मूत्रपुरीषभूते नवच्छिद्रे। अशुचि परिस्रवति, शुभं शरीरे किमस्ति ? —समणसुत्त : ५२० मांस और हड्डी के मेल से निर्मित, मल—मूत्र से भरे, नौ छिद्रों के द्वारा अशुचि पदार्थ को बहाने वाले शरीर में क्या शुभ हो सकता है ?
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोक्षेत्र – Nokshetra. All 5 entities rather than ‘Sky’. आकाश द्रव्य के अतिरिक्त जीव, पुदगल, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय तथा काल द्रव्य नोक्षेत्र कहलाते है “
देवगत्यानुपूर्वी See – Devagati Pråyogyånupýrvî. देव- देवगति प्रायोग्यानुपूर्वी ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयवादी – Vinayavadi. Particular follower of the vinayvad (policy of humility). एकांतमती; विनयवादियों के ३२ भेद हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोइन्द्रिय – Noindriya. Dravya Man – a structural form of Man according to Jaina philosophy. द्रव्य मन; जो अंगोपांग नामकर्म के उदय से मनोवर्गणा से बनता है, इसे ईषत् इन्द्रिय भी कहते है ” यह ह्रदय से बनता है, इसे ईषत् इन्द्रिय भी कहते है ” यह ह्रदय स्थान में अष्टदल कमल के आकार…
चतुर्दश Fourteen-14 Gunsthan, 14 Purva etc. चौदह- चौदह पूर्व, चौदह गुणस्थान इत्यादि ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]