जघन्य आयु!
जघन्य आयु The lowest life period. मनुष्य एवं तिर्यंच में एक उच्छ्वास के १८वें भाग क्षुद्रभव की जघन्य आयु होती है जबकि देव व नारकी में दस-दस हजार वर्ष की जघन्य आयु होती है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जघन्य आयु The lowest life period. मनुष्य एवं तिर्यंच में एक उच्छ्वास के १८वें भाग क्षुद्रभव की जघन्य आयु होती है जबकि देव व नारकी में दस-दस हजार वर्ष की जघन्य आयु होती है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तदाकार Copy of the similar form (same appearance). उसी आकार का।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकुब्जा – Prakubja. Name of the chief Aryika in the assembly of Lord Ajitanath. अजितनाथ भगवान के समवसरण की प्रधान आर्यिका अर्थात् गणिनी का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति स्वोदय – Prakrti Svodaya. Karmic natures which bind in ther own period of fruition. २७ कर्म प्रक्रतियां स्वोदय बंधी है अर्थात् इनका बंध अपने उदय के समय में ही होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सविश्वरूपत्व – Savishvaroopatva. Universally vast from, A name of Lord Rishavhdev called by Saudharma Indra. वस्तु में कुछ विरोधी धर्मो में एक धर्म जैसे सविष्वरूप-एकरूप इत्यादि । सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम।
दर्पणतुल्य भूमि An excellence of Lord Arihant (Land to have like mirror).अरहंतो के केवलज्ञान का एक, अतिशय, दर्पण के समान भूमि का स्वच्छ होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == कुल : == पुरिसाण कुलीणाण वि न कुलं विणयस्स कारणं होइ। चंदाऽमय—लच्छि सहोयरं पि मारेइ किं न विसं।। —गाहारयणकोष : १०० कुलीन पुरुषों का कुल विनय (आचार) का कारण (प्रमाण) नहीं होता। विष चन्द्र, अमृत एवं लक्ष्मी का सहोदर होते हुए भी क्या प्राण नाश नहीं करता ?
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति Name of a book written by Acharya Amitgati, A part of scriptural knowledge (Shrutgyan) containing description about whole Jambudvip. आचार्य अमितगति (ई. ९९३-१०४६) द्वारा रचित ग्रन्थ , परिकर्म दृष्टिवाद श्रुत का एक भेद ; इसमें ३ लाख २५ हज़ार पदों के द्वारा जम्बूद्वीप का सम्पूर्ण वर्णन है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सविकल्प – Savikalpa. With option, Knowledge is called as Savikalpa. विकल्प सहित, ज्ञानोपयोग (ज्ञान) को सविकल्प कहा गया है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिषेणा – Namdisena Name of the female deity of Ruchak mountain. रुचक पर्वत की दिक्कुमारी देवी ”