संतिणाहचरिउ!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतिणाहचरिउ – Santinaahacariu. Name of a treatise written by Subhkirti Bhattarak. शुभकीर्ति भट्टारक (ई. 1437) कृत अपभ्रंश भाषाबद्ध ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतिणाहचरिउ – Santinaahacariu. Name of a treatise written by Subhkirti Bhattarak. शुभकीर्ति भट्टारक (ई. 1437) कृत अपभ्रंश भाषाबद्ध ग्रंथ “
एलाचार्य भट्टारक A writer of ‘Jvalamalinikalpa’. ज्वालामालिनीकल्प के रचियता।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावग्रह – Bhavagraha. Name of a planet. ८८ ग्रहों में ८३ वां ग्रह “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वभाव दर्शन – Svabhaava Darssana. Self revealing perception. जो इन्द्रिय रहित और असहाय केवलज्ञान है वह स्वभाव दर्षन है।
जम्बूद्वीप- तीनों लोकों में मध्यलोक के अंदर असंख्यात द्वीप- समुद्रों में प्रथम द्वीप का नाम है – जम्बूद्वीप प्राचीन शास्त्रों में कही गई यह रचना हस्तिनापुर में पू० ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से सन् १९८५ में निर्मित हुई है । उसके दर्शन करने दुनिया भर से लोग हस्तिनापुर आते हैं । अथवा मध्यलोक का प्रथम…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वप्रत्यय उत्पाद – Svapratyaya Utpaada. Self origination caused due to increase & decrease in the property of non-gravity-levity.आत्मा मे अगुरुलधु गुणो की वृद्वि और हानि के निमित से होने वाला उत्पाद स्वप्रत्यय उत्पाद है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिगज श्रुतज्ञान – अनक्षरात्मक श्रुतज्ञान, चिन्ह से उत्पन्न होने वाला श्रुतज्ञान। Limgaja Srutajnana-A kind of symbolic knowledge pertaining to Shrutgyan (scriptural knowledge), Unsyllabic knowledge
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपक्षसाधक हेतु – Svapaksa Saadhaka Hetu. A motive for one’s own fulfillment.हेतु स्वपक्ष का साधक और पर पक्ष का दूषक होना चहिये अर्थात् अपने अभीष्ट अर्थ की सिद्वि करने वाला हेतू।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाघव – लघुता, हल्कापन षरीर का भारीपन नश्ट होना। तपष्चरण से षरीर में ये गुण प्राप्त होता है जिसे लघिमा ऋद्धि कहते है। Laghava-Lightness, minuteness
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख–Mukha. The fore–part, entrance, front, mouth, face. अग्रभाग, प्रवेश द्वार, प्रधान–मुख्य, धवला के अनुसार जीव प्रदेशो के विशिष्ट संस्थानों को मुख कहते है”