स्थिति कांडक धात!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति कांडक धात – Sthiti Kamdaka Ghaata. A type of destruction of karmic states.विवक्षित स्थिति समूह का धात करना स्थिति काण्डकधात है। यह एक अन्तर्मुहूर्त मे निष्पन्न होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति कांडक धात – Sthiti Kamdaka Ghaata. A type of destruction of karmic states.विवक्षित स्थिति समूह का धात करना स्थिति काण्डकधात है। यह एक अन्तर्मुहूर्त मे निष्पन्न होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थानांतर गमन – Sthaanaamtara Gamana. The activity of going from one place to another (by saints on getting obstacle at one food taking place).एक स्थान से उठकर अन्यत्र चले जाने योग्य अवसर, भोजन के स्थान पर यदि कीड़ा आदि तुच्छ जन्तु चलते फिरते नजर आ जाये या ऐसा ही कोई दूसरा निमित उपस्थित हो…
चतुर्भुज Quadrilateral, four-armed figure. चार भुजाओं वाला ;समान्तर भुजाओं से बना हुआ चित्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यक्तव – Samyaktva. Right faith or right belief. प्रमाण के द्वारा जाने हुए तत्वो का श्रद्वान। देखे- सम्यग्दर्शन।
चिदानंद Supernatural enjoyment, bliss. एटीएम अनुभव या आत्मा का आनंद ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्मेदशिखर – Sammedashikhara. The eternal & great reverential place of pilgrimage of Jains, which is the salvation place of 20 Tirthnkars (Jaina Lords) of the present era. शाश्रत तीर्थराज; अनादिकाल से अनंत तीर्थकरो की निर्वाणभूमि एंव वर्तमान चैबीसी मे भगवान आदिनाथ, वासुपूज्य, नेमिनाथ और महावीर को छोड़कर शेष बीस तीर्थकरो की निर्वाणभूमि। इस महान…
उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य Production, destruction & permanence (these are three characteristics of matter). उत्पत्ति विनाश और ध्रुवत्य (स्थाईपना) जो द्रव्य के तीन लक्षण होते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
छंदन Observance according to the will of spiritual teacher-’Acharya’. ग्रहण किए हुए पुस्तक आदि उपकरणों में , विनय के काल में , वंदना- सूत्र के अर्थ को पूछना इत्यादिक में आचार्य आदि की इच्छा के अनुकूल वर्तना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समुदघात – Samudghaata. Extrication of soul-points from the body without leaving the body, there are 7 kinds of it. वेदना आदि के निमित्त से मूल शरीर को नही छोड़ते हुए जो जीव के कुछ आत्मप्रदेष शरीर से बाहर निकलते है उसे समुद्धात कहते है। इसके 7 भेद है- वेदना, मारणान्तिक, वैक्रियिक, तैजस, आहारक और…