मृदंगमध्य व्रत!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृदंगमध्य व्रत–Mradngmadhya Vrat. A particular type of fasting. एक व्रत जिसमे क्रमशः 2,3,4,5,4,3,2 उपवास एवं बीच के खली दिनों में पारणा कीजाती है” इसमें23 उपवास 7 पारणाएँ की जाती है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृदंगमध्य व्रत–Mradngmadhya Vrat. A particular type of fasting. एक व्रत जिसमे क्रमशः 2,3,4,5,4,3,2 उपवास एवं बीच के खली दिनों में पारणा कीजाती है” इसमें23 उपवास 7 पारणाएँ की जाती है”
इंद्रिय मार्गणा Investigation of senses. एकेन्द्रियादि जाति नामकर्म के उदय से जीव की जो एकेन्द्रिय आदि अवस्था होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथिवीपाल – Prthivipala. Name of the writer of ‘Shrut Panchami Rasa’, Name of a Pandit. पानीपत का निवासी था, वि. १६९२ में श्रुत पंचमी रास की रचना की, एक पंडित; व्रत कथाकोष छंद के कर्ता “
इन्द्रियावलोकन अब्रह्म Attraction towards the beauty of ladies. स्त्रियों के मनोहर अंगों को राग भाव से देखने रूप कुशील।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवाननुगामी – Bhavananugami. A type of clairvoyance (not remains with one in next birth). अननुगामी अवधिज्ञान का एक भेद; जो भवान्तर के साथ नहीं जाता , क्षेत्रान्तर में ही साथ जाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावस्तवन – Bhavastavana. Eulogical praising of Lord Jinendra. जिनेन्द्र भगवान के गुणों का स्मरण करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विदारण क्रिया – Vidarana Kriya. Exposing others’ sinful activities. साम्परायिक आस्रव की १८ वीं क्रिया ” दुसरे ने जो सावध कार्य किया हो उसे प्रकाशित करना “