प्रत्यक्षज्ञानी!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यक्षज्ञानी- pratyaksajnani Those having either partial perfect knowledge of complete perfect knowledge अवधि एवं मा:पर्ययज्ञानी को देष प्रत्यक्षज्ञानी कहते है एवं केवलज्ञानी को सकल प्रत्यक्षज्ञानी कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यक्षज्ञानी- pratyaksajnani Those having either partial perfect knowledge of complete perfect knowledge अवधि एवं मा:पर्ययज्ञानी को देष प्रत्यक्षज्ञानी कहते है एवं केवलज्ञानी को सकल प्रत्यक्षज्ञानी कहते है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृतसंजीवनी–Mratsanjeevni. A type of super knowledge of mystic words. एक मन्त्र विद्या”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == योनियाँ : == ते ते कर्मत्वगता: पुद्गलकाया: पुनरपि जीवस्य। संजायन्ते देहा: देहान्तरसंक्रमं प्राप्य।। —समणसुत्त : ६५९ इस प्रकार कर्मों के रूप में परिणत वे पुद्गल—पिण्ड देह से देहान्तर को—नवीन शरीर रूप परिवर्तन को—प्राप्त होते रहते हैं। अर्थात् पूर्वबद्ध कर्म के फलरूप में नया शरीर बनता है और नये…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसमय – Svasamaya. Jaina philosophy, Jaina spiritual treatises, engrossment into self, self absorption. जैन सिद्वांत, आध्यात्मिक ग्रंथ, स्वपक्ष प्रतिपादन करने वाले न्याय गं्रथ। समयसार के अनुसार पर पदार्थों से छूटकर अपने उपयोग को अपने आत्मा मे रमण करना, स्वचारित्र अथवा जो दर्षन, ज्ञान और चारित्र मे स्थिर होकर (तद्रुप होकर) रहता है वह स्वसमय…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रविवीर्य – चक्रवर्ती भरतेष का पुत्र, इसने जयकुमार के साथ तीर्थकर र्वशभदेव से दीक्षा ली थी। Ravivirya-the son of Chakravarti (emperor) of Bhartesh
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैलेशी अवस्था – Shaileshee Avasthaa. Motionless state, state of absolute meditation.. पत्थर की मूर्ती के समान निश्छल ध्यानावस्था ” वन में इस प्रकार के ध्यानी मुनियों के शरीर से हिरण आदि पशु उन्हें पत्थर समझकर उनसे अपने शरीर को रगड़कर अपनी खाज मिटाते हैं ” अंतिम शुक्लध्यान की अवस्था “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्णकूला नदी – Svarnakuulaa Nadii. Name of a river of Hairanyavata region. हैरण्यवत क्षेत्र की एक नदी। यह 14 महानदियो मे 11वीं महानदी है एवं पुण्डरीक सरोवर से निकलती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगदु प्रणिधान – सामायिक षिक्षाव्रत का एक अतिचार, मन वचन काय की दुश्ट प्रवृत्ति। Yogaduhpranidhana-bad tendencies or attitude of one (an infraction of samayik)
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेखलापुर– Mekhalpur. A city in the southern Vijayardh mountain. विजयार्धकी दक्षिण श्रेणी का एक नगर”