स्वनिंदा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वनिंदा – Svanimmdaa. Self-criticism.आत्म निंदा। उच्च गोत्र के आस्रव का एक कारण।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वनिंदा – Svanimmdaa. Self-criticism.आत्म निंदा। उच्च गोत्र के आस्रव का एक कारण।
जयचंद छाबड़ा A great personality who wrote commentaries on many books like ‘Prameyratnamala’ etc. एक विद वान जिन्होंने सर्वार्थसिद्धि (वि. १८६१) , प्रमेयरत्नमाला (वि. १८६३) , द्रव्य संग्रह (वि. १८६३) आदि ग्रंथों पर वचनिकाएं लिखीं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वच्छंद श्रोता – Svacchammda Ssrotaa. Unworthy or restraintless listeners.कुपात्र श्रोता। स्वच्छंद श्रोताओ को विधा देना संसार और भय को ही बढ़ाने वाला है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेहेसरचरीउ–Mehesrachriu. Name of a book. सुलोचनाचारित्र विषयक अपभ्रंश भाषा का एक ग्रंथ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद्वादसिद्वि – Syaadvaadasiddhi. Name of a treatise written by Acharya Vadibhisingh. आचार्य वादीभसिह (ई0 1103) द्वारा रचित संस्कृत भाषाबद्व न्याय विषयक ग्रन्थ।
जन्मरहितता Immortality, a virtue of Siddhas (super beings). सिद्धों का एक गुण जो आयुकर्म नष्ट होने पर प्रगट होता है -अवगाहनत्व या जन्म-,अरण रहितता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादमूर्त – Syaadamuurta. Non-physical nature (in some aspect).परमभाव ग्राहक द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा पुद्गल के अतिरिक्त जीव, धर्म, अधर्म, आकाश और काल द्रव्य कथंचित् अमूर्तस्वभाव वाले है।
जन्माभिषेक Auspicious bathing (anointment) of Jaina Lord. सौधर्म-ईशान इन्द्रों द्वारा पांडुकशिला पर बाल तीर्थंकर की अभिषेक क्रिया ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यंदन – Syammdana. Splendourous chariots of Cghakravarties (emperors).रथ-चक्रवर्ती बलदेवो के चढ़ने योग्य जो होते है एवं सर्व आयुधों से परिपूर्ण पवन के समान वेग वाले, धुर के टूट जाने पर भी जिनके चक्करो की रचना इस प्रकार की होती है कि गमनागमन मे बाधा नही पड़ती वे स्यंदन कहलाती है।
जघन्य पात्र A vowless religious observer with right faith. व्रतरहित सम्यग्दृष्टि ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]