आसङ्ग!
आसङ्ग Attachment with possession. परिग्रह में आसक्ति होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्वाध्याय : == पूजादिषु निरपेक्ष:, जिनशास्त्रं य: पठति भक्त्या। कर्ममलशोधनार्थं, श्रुतलाभ: सुखकर: तस्य।। —समणसुत्त : ४७६ आदर—सत्कार की अपेक्षा से रहित होकर जो कर्मरूपी मल को धोने के लिए भक्तिपूर्वक जिनशास्त्रों को पढ़ता है, उसका श्रुत—लाभ स्व—पर सुखकारी होता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यकुमुदचन्द्रिका – Bhavyakumudachandrika. Name of a treatise written by Pandit Ashadhar. पं. आशाधर (ई. ११७३- १२४३) कृत एक ग्रंथ “
आहारक चतुष्क Quartet assimilation pertaining to Aharak Sharir. आहारक शरीर, आहारक अंगोंपांग, बंधन, संघात।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्धूतमोह – Nirdhootamoha. Destroyer of delusion. mohmommoमोह को जिन्होंने नष्ट कर दिया है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्ममालिनी: Name of a chief female divinity of peripatetic Indras. व्यंतर इन्द्र की प्रधान देवी का नाम ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यशपाल–Yashpaal. Name of an Acharya. मूलसंघ के एक आचार्य, अपरनाम जयपाल”
देवदारू Tree-Cedar, the initiation tree of Lord Parshvanath. पाश्र्वनाथ भगवान के दीक्षा वृक्ष का नाम। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य पारिषद – Bahaya Parisada. A type of deities in the council of Indris’. देवो का एक प्रकार; जो अत्यंत स्थूल, निष्ठुर, क्रोधी और शस्त्रों से सहित रहते हैं ” वे इंद्र कि सभा में अयोग्य लोगो को ‘दूर हटो ‘ इस तरह बोलकर अपना दायित्व निभाते हैं “