लांगलिका गति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लांगलिका गति – विग्रहगति का एक भेद, दो मोडे वाली गति जो तीन सतय वाली होती है। Lamgalika gati-A kind of transmigratory motion
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लांगलिका गति – विग्रहगति का एक भेद, दो मोडे वाली गति जो तीन सतय वाली होती है। Lamgalika gati-A kind of transmigratory motion
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्गण संवर्गण – Vargana Sanvargana.: A type of particular mutual multiplication (a mathematical operation). गणित ;देय –विरलन संख्याओं को परस्पर गुणा करने से प्राप्त राशि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वनाथ विधान – Parsvanatha Vidhana. A worshipping book written by Ganini Gyanmati Mataji. पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी द्वरा रचित १०८ अर्ध्यों से समन्वित एक पूजा ग्रंथ “
तुंबर A type of peripatetic deities. गनधर्व नामक व्यंतर जाति का एक भेद। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वयोपेक्षा विवर्जन – Vayopekshaa Vivarjana: Disruption of meditative relaxation due to old age (a fault ). व्युत्सर्ग का एक दोष ;वृद्धावस्था के कारण कायोत्सर्ग को छोड़ देना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यग्रोधपरिमंडलसंस्थान नामकर्म – Nyagrodhaparimandalasanathan Naamkarma. Karmic nature causing partly asymmetrical configuration of body. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर बड़ के पेड़ के समान नाभि के ऊपर मोटा और नीचे पतला होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूता – Bhuta. Name of a female beloved divinity of a peripa-tetic deity ‘Mahabhim’. महाभीम नामक व्यंतर देव की एक देवी का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रबाहु – Bhadrabahu। The 5th Shrutkevali (one of the great Acharyas. Having complete scriptural knowledge). अंतिम केवली जम्बूस्वामी के बाद हुए ५ श्रुत केवलियों में अंतिम श्रुतकेवली ” इनके काल मे ही बारह वर्षीय दुभ्रीक्ष के दौरान श्वेताम्बर मत की उत्पति हुई थी “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == धर्मध्यान : == ध्यानोपरमेऽपि मुनि:, नित्यमनित्यादिभावनापरम:। भवति सुभावितचित्त:, धर्मध्यानेन य: पूर्वम्।। —समणसुत्त : ५०५ मोक्षार्थी मुनि सर्वप्रथम धर्मध्यान द्वारा अपने चित्त को सुभावित करे। बाद में धर्मध्यान से उपरत होने पर भी सदा अनित्य—अशरण आदि भावनाओं के चिंतवन में लीन रहे।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म नारकी – Nokarma Naarakee. Nokarma dravyas causing hellish realm. पाश, पंजर, यंत्र आदि नोकर्म द्रव्य जो नारकभाव की उत्पत्ति में कारण भूत होते है, नोकर्म द्रव्य नारकी हैं