इत्य!
इत्य Here. यहाँ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चयगुरु – Nishchayaguru. One having absolute perception of knowing himself. निश्चय से आत्मा ही आत्मा का गुरु है क्योंकि मोक्ष सुख का ज्ञान कर स्वयं ही उसे परम हितकर ज्ञान उसकी प्राप्ति में अपने को लगता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिगज श्रुतज्ञान – अनक्षरात्मक श्रुतज्ञान, चिन्ह से उत्पन्न होने वाला श्रुतज्ञान। Limgaja Srutajnana-A kind of symbolic knowledge pertaining to Shrutgyan (scriptural knowledge), Unsyllabic knowledge
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय उपगूहन – Nishchaya Upgoohana. Absolutely free from all passion. मुनि अवस्था में सिद्धों की अर्थात् शुद्धात्मा की भक्ति से युक्त होना और रागादी भावों से युक्त नहीं होना अर्थात् अपने निरंजन-निर्दोष आत्मा को दूषित करने वाले मिथ्यात्व रागादि विभावधर्मों का विनाश करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाघव – लघुता, हल्कापन षरीर का भारीपन नश्ट होना। तपष्चरण से षरीर में ये गुण प्राप्त होता है जिसे लघिमा ऋद्धि कहते है। Laghava-Lightness, minuteness
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शशि – Shashi. The Moon, A king of Ikshvaku dynesty. चंद्रमा, इक्ष्वाकुवंशी एक राजा जो रवितेज का पुत्र था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निवृत्त्यपर्याप्त – Nirvrttyapaparyaapta. Period of completion of eligible state (i.e. 6 Paryaptis) for body making in (Antarmuhurta). पर्याप्ति नामकर्म के उदय से युक्त जीव के जब तक शरीर पर्याप्ति पूर्ण न हो उतने काल तक उसे निर्वृति अपर्याप्त कहते है (अर्थात्एक समय कम शरीर-पर्याप्ति सम्बन्धी अन्तर्मुहूर्त पर्यत्न काल)” इस अवस्था को सर्वज्ञ ही जानते…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसारभीरु – Sansaarabheeru. One aware & frightened of worldly troubles. सम्यग्दृष्टि जीव जो संसार के दुःखों से भयभीत होकर वैराग्य को स्वीकार करते हैं “