भूतज्ञायक शरीर!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतज्ञायक शरीर – Bhutagyaka Sarir. Left body of most learned one (after death). कर्मस्वरूप की जाने वाला जिस शरीर को छोड़ आया है वह भुतज्ञायक शरीर है इसके च्युत, च्यावित, त्यक्त ३ भेद हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतज्ञायक शरीर – Bhutagyaka Sarir. Left body of most learned one (after death). कर्मस्वरूप की जाने वाला जिस शरीर को छोड़ आया है वह भुतज्ञायक शरीर है इसके च्युत, च्यावित, त्यक्त ३ भेद हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रावकाचार – Shraavakaachaara. Conduct of householders or lay followers. एकदेश चारित्र; 5 अणुव्रत, 3 गुणव्रत, 4 शिक्षाव्रत का पालन “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भिमबाहू – Bhimabahu. The son of Dhratrashtra Gandhari. धृतराष्ट – गांधारी के दो पुत्रों में एक का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रवण – Shravana. Name of the 80th planet and the 21st lunar. 88 ग्रहों में 80वां गृह, 28 नक्षत्रों में 21वां नक्षत्र जो मृंदगाकार है ” तीर्थंकर श्रेयांसनाथ व मुनिसुव्रतनाथ इसी नक्षत्र में जन्मे थे “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख्य गणधर– Mukhya Gandhar. Head of the chief of disciples of Lord. तीर्थंकर के प्रधान शिष्य, जो दिव्यध्वनी का सार दवादवाशांगश्रुत के रूप में जगत को प्रदान कटे है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शौर्यपुर – Shauryapura. Another name of Shauripur (Shauripura). शौरीपुर का अपरानाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशस्त राग- देव शास्त्र गुरु के प्रति भक्तिरूपी राग प्रषस्त राग है। Prasasta raga- Devotion in the prayer of Lord, guru etc
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति बंध – Prakrti Bandha. Regular binding of different types of karmic natures. राग, द्वेषादि के निमित्त से जीव के साथ ज्ञानावरणादि कर्मों का निरंतर बंध होना अर्थात् जीव के भावों की विचित्रता के अनुसार विभन्न प्रकार की फलदान शक्ति वाले कर्मों का बंध होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव आस्त्रव – Bhava Asrava. Emotions with passion etc. which cause flow of Karmas – are called Bhava Asrava. आत्मा के रागादि भाव जिनसे कर्म आते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रविचार- मैथुन के उपसेवन को प्रविचार कहते है। Pravicara- Sexual enjoyment