प्रशमाभास!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशमाभास- प्रषम भाव का झूठा अहंकार करने वाले मिथ्यादृशिट के सम्यक्त्व का सदभाव न होने से प्रषमाभास होता है। Prasamabhasa- False pride of spiritual calmness
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशमाभास- प्रषम भाव का झूठा अहंकार करने वाले मिथ्यादृशिट के सम्यक्त्व का सदभाव न होने से प्रषमाभास होता है। Prasamabhasa- False pride of spiritual calmness
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लतावक्र – कायोत्सर्ग का एक अतिचार लता की भांति इधर उधर हिलना। Laatvakra-An infraction of meditative relaxation (Shaking of the body)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवर्तक (साधु)- जो ज्ञान से अल्प है परन्तु सर्व संघ की मर्यादा योग्य आचरण का जिसको ज्ञान है उसको प्रवर्तक साधु कहते है। Pravartaka ( Sadhu )- A type of Digamber Jain saints
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रज्जू – लोक को मापने का एक प्रमाण विषेश जगत्श्रेणी का सातवां भाग रज्जू कहलाता है। समस्त लोक की उचाई 14 रज्जू है। Rajju-A measurement unit of area
झांझ A cymbal, to be kept near the idol of Lord Jinendra, Passion, Anger, Wickedness. जिनेन्द्र देव की प्रतिमाओं के समीप विद्यमान रहने वाले अष्ट 108 मंगल द्रव्यों में ण्क चित्त का बुरा आवेग, क्रोध, दुष्टता । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यक्षबाधित- pratyaksabadhita Refutable perception जिस साध्य की सिद्धी में प्रत्यक्ष से बाधा आये, जैसे अगिन ठंडी है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लक्ष्मणा – राजा महासेन की रानी जो कि तीर्थकर चद्रप्रभ की माता थी। Laksmana-Mother’s name of lord Chandraphrabh
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == महाव्रत : == अहिंसा सत्यं चास्तेनवंâ च, ततश्चाब्रह्मापरिग्रहं च। प्रतिपद्य पंचमहाव्रतानि, चरति धर्मं जिनदेशितं विद:।। —समणसुत्त : ३६४ अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, ये पांच महाव्रत ग्रहण कर श्रमण जिनदेशना के अनुसार धर्म का आचरण करे।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्धि – प्राप्ति सम्यक्त प्राप्ति की पूर्व सामग्री, क्षयोपषन विषुद्धि प्रायोग्य देषना करण 5 लब्धिया जीव मे संयम या संयमासंयम आदि को धारण करने की योग्यताएं। अंतराय के क्षयोपषन से प्राप्त षक्ति दान लाभ भोग उपभोग वीर्य क्षायिक आदि 9 लब्धियां। Labdhi-Attainment, Different types of gain for getting salvation