त्रिलोकव्याप्त!
त्रिलोकव्याप्त One who is diffused in all three worlds. जो तीनों लोकों में व्याप्त है , लोकपूरण समुदघात, केवली भगवान के आत्मप्रदेशों का घनलोकप्रमाण सर्वलोक में फैल जाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिलोकव्याप्त One who is diffused in all three worlds. जो तीनों लोकों में व्याप्त है , लोकपूरण समुदघात, केवली भगवान के आत्मप्रदेशों का घनलोकप्रमाण सर्वलोक में फैल जाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्कारक – Satkaaraka. Six kinds of cases (of grammar). कर्ता, कर्म, करण,सम्प्रदान,अपादान और अधिकरण “
दासीदास प्रमाणातिक्रम An infraction of possessional limitation of keeping servents.परिग्रह परिमाणव्रत का एक अतिचार, दास दासी के लिए हुए प्रमाण का उल्ंलघन करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वेतवाहन – Shvetavaahana. A king of Champanagri (a city) who got omniscience. चम्पानगरी का राजा, दीक्षा धारण कर केवलज्ञान प्राप्त किया “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रासाद- महल, र्इटों और पत्थरों के बने हुए आवासों को प्रासाद कहते है। Prasada- Palace, a palatial building
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यमान बीस तीर्थकर – Vidyamana Bisa Tirthamkara. The 20 Tirthankaras (Jaina-Lords) situated in videh Kshetra (region). ५ मेरु संबंधी ५ विदेह क्षेत्रों में बीस तीर्थकर सतत् विद्यमान रहते हैं, उनके नाम – सीमंधर, युगमन्धर, बाहु, सुबाहु, संजात, स्वयंप्रभ, ऋषभानन, अनंतवीर्य, सुरिप्रभ, विशालप्रभ, व्रजधर, चन्द्रबाहु, भुजंगम, ईश्वर, नेमिप्रभ, वीरसेन, महाभद्र, देवयश, अजितवीर्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रेयोविधा – Shreyovidhaa. Name of a treatise written by Acharya Abhayanandi Ji of Nandi group. नंदिसंघ देशीयगण के आचार्य अभयनंदि द्वारा रचित अनेक कृतियों में एक कृति, समय – ई. 930-950 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रारब्ध योगी- शुद्धात्मा भावना के प्रारम्भक और सूक्ष्म सविकल्प अवस्था में सिथत पुरुश। Prarabdha yogi- One engrossed in meditation inabsolutely
देवगुरू A Digambar Jain saint possessing supernatural power. एक चरण ऋद्धिधारी मुनि इन्होंने अंतिम समय में वानर को णमोकार मंत्र सुनाया था जिससे मरकर वह सौधर्म स्वर्ग में चित्रांगद नामक देव हुआ था।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रुतसागर – Shrutasaagara. Name of a saint in the group of Akampanacharya, Name of a Bhattarak of Nandi group, also name of the disciple of Acharya Shri Kunthusagar Maharaj. अकम्पनाचार्य के संघस्थ एक मुनि; इन्होने राजा श्रीधर्मा के मंत्रियो से शास्त्रार्थ कर उन्हें पराजित किया था ” नंदीसंघ बलात्कार गण में भट्टारक विद्यानंदि-2 के…