आत्मनिन्दन!
आत्मनिन्दन Self – condemnation. सम्यग्दृष्टि के द्वारा अपने दोषों की स्वयं निन्दा और गर्हा करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मनिन्दन Self – condemnation. सम्यग्दृष्टि के द्वारा अपने दोषों की स्वयं निन्दा और गर्हा करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परस्त्री त्याग:Abstention from adultery.स्वदार संतोष व्रत, परस्त्री सेवन का त्याग करना ।
ईशित्व ऋद्धि A miraculous power of supremacy. जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को सारे जगत पर प्रभुत्व करने की शक्ति प्राप्त हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दर्शन मोह क्षपक Destroyer of right faith deluding Karmas. दर्शन मोहनीय कर्म को नष्ट करने वाला क्षायिक स्म्यग्दृष्टि। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवेदनी कथा – Sanvedanee Kathaa. Tale creating religious sentiments. पुण्य के फल का कथन करने वाली अर्थात् धर्मानुराग बढ़ाने वाली कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर सल्लेखना – Shareera Sallekhanaa. Holly destruction of the body by reducing food taking etc. (an austerity). बाह्य सल्लेखना या कायक्लेश रूप अनुष्ठान करना अर्थात् भोजन आदि त्याग करके शरीर को कृश करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पर समय:False belief of involvement in materialism (i.e. other than soul).जीव का परद्रव्यरत रहना, आत्मा को छोडकर पर द्रव्य को निज रूप मानना । जैन धर्म से बहिर्भूत सभी शास्त्र आदि परसमय कहलाते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रघुनाथ – न्यायदर्षन में नव्यन्याय के प्रसिद्ध प्रणेता, श्रीरामचन्द्र जी का अपरनाम। Raghunatha-Name of a great judiciary founder, Another name of Shri Ram
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शय्या परिषह – Shayyaa Parishaha. A kind of affliction relted to sleeping with hardness. 22 परिषहों में एक परिषह; ध्यान अध्ययन अथवा मार्ग के श्रम से थककर साधू द्वारा कठोर भूमि पर एक करवट बिना कुछ ओढ़े अल्प निद्रा लेना और बाधा को समतापूर्वक सहन करना “