इंद्रक!
इंद्रक Middle aboding places (Viman) of heaven & middle dwelling places (Bill) of hell. पटल इंद्रक का अर्थ अन्तर्भूमि है स्वर्गो में मध्य के विमान एंव नरकों के बिल।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इंद्रक Middle aboding places (Viman) of heaven & middle dwelling places (Bill) of hell. पटल इंद्रक का अर्थ अन्तर्भूमि है स्वर्गो में मध्य के विमान एंव नरकों के बिल।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीनंदि – Shreenandi. The disciple of Sakalchandra of Nandi group. नंदिसंघ देशीयगण में सकलचन्द्र के शिष्य तथा नयनंदि के गुरु ” आपके लिए ही पद्मनंदि ने जम्बूद्वीप पण्णति लिखी थी ” अपरनाम रामनंदि, समय- ई. 968-1023 “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यशस्वी–Yashasvi. The other name of the 9th Kulkar (ethical founder). 9वें कुलकर का अपर नाम”
उत्तम श्रावक Votary possessing vow of 10th & 11th Pratima. 10 वीं व 11वीं प्रतिमाधारी व्रती।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्यामकुमार – Shyaamakumaara. A type of residential deities (Asurkumar). असुरकुमार भवनवासी देव “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतसागर (आचार्य) – Bharatasagara (Acarya). 1) Name of the chief disciple of Acharya Vimalsagar. 2) Name of a saint, the disciple of Acharya Shri Sumatisagar Maharaj. १) आचार्य श्री विमलसागर महाराज के पट्टाचार्य ” इनकी प्रेरणा से अनेक ग्रंथो का प्रकाशन हुआ है ” (समय –ई. श.२०) ” २ ) आचार्यश्री सुमतिसागर…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == समाधि : == जो झायइ अप्पाणं, परमसमाही हवे तस्स। —नियमसार : १२३ जो अपनी आत्मा का ध्यान करता है, उसे परम समाधि की प्राप्ति होती है। य इन्द्रियाणां विषया मनोज्ञा:, न तेषु भावं निसृजेत् कदापि। न चामनोज्ञेषु मनोऽपि कुर्यात , समाधिकाम: श्रमणस्तपस्वी।। —समणसुत्त : ४९२ समाधि की कामना…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवृत्ति – प्रमाण से किसी वस्तु को जानकर उसे पाने या छोड़ने की इच्छा सहित चेश्टा करना। Pravrtti- Activity, trend, tendency