भ्रान्ति!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भ्रान्ति:Illusion, Deception. भ्रम, व्यामोह, मिथ्याभाव “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मैथुन संज्ञा– Maithun Sangya. Sex instinct. 4 संज्ञाओ में एक संज्ञा; मैथुनरूप क्रियाओ में होने वाली इच्छा”
गुणभद्र भट्टारक The writer of religious treatise (Dhanyakumar charit etc). पूजा कल्प,धन्यकुमार चरित आदि के कर्ता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोजवंश:Name of a dynasty. वृषभदेव भगवान के समय का एक वंश; इस देश के राजा न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करने से भोज कहलाते थे “
गरूड़पंचमी व्रत A type of vow to be observed in shravan month. पांच वर्ष तक प्रतिवर्ष श्रावण शु. ५ का उपवास ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == कायक्लेश : == सुखेन भावितं ज्ञाने, दु:खे जाते विनश्यति। तस्मात् यथाबलं योगी, आत्मानं दु:खै: भावयेत्।। —समणसुत्त : ४५३ सुखपूर्वक प्राप्त किया हुआ ज्ञान दु:ख के आने पर नष्ट हो जाता है। अत: योगी को अपनी शक्ति के अनुसार दु:खों के द्वारा अर्थात् कायक्लेशपूर्वक आत्म-चिन्तन करना चाहिए।
गर्हा Confessing own faults before the spiritual teacher. गर्हण, गुरु के समक्ष अपने दोष प्रगट करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिमित्र – Namdimitra Name of the predestined 2nd Narayan, the 7th Balbhadra, the 82nd chief disciple (Gandhar) of Lord Rishabhdev, Name of a great saint possessing knowledge of 14 Purvas. आगामी दुसरे नारायण, सातवे बलभद्र. वृषभदेव के 82 वें गणधर, पांच श्रुत्केवली मुनियों में 14 पूर्व के ज्ञाता दुसरे मुनि का नाम ”
गिरिपात Falling from a precipice (steep mountain etc.) पर्वत से गिरना, लोकमूढता;धर्मं लाभ मानकर पर्वत से गिरना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]