तिर्यचगति नामकर्म प्रकृति!
तिर्यचगति नामकर्म प्रकृति A type of karmic nature causing Tiryanch Gati. वह कर्म जिसके उदय से तिर्यंच की पर्याय में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तिर्यचगति नामकर्म प्रकृति A type of karmic nature causing Tiryanch Gati. वह कर्म जिसके उदय से तिर्यंच की पर्याय में जन्म हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तिक्त रस Pungent flavour, bitter in taste. कडुवा रस या स्वाद। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृत्तिसूत्र –Vrttisutra. Briefing of some principle etc. जिसमे संक्षिप्त शब्दों में या सूत्र के समस्त अर्थ को संग्रहीत कर लिया जाता हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनिदेव–Munidev. The chief disciple of Lord Adinath. भगवान् आदिनाथ के गणधरो का नाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वासना – Vaasanaa.: Passion,Passionate feelings. संस्कार, अविद्या ,अज्ञान, कषाय आदि की पुनः पुनः प्रवृत्ति रूप अभ्यास से उत्पन्न संस्कार वासना कहलाते हैं “
तपाचार Observance of austerity. बारह प्रकार के तपों का आसचरण करना अनशन अवमौदर्य , रसपरित्याग, वृत्ति- परिसंख्यान, कायक्लेश और विविक्तशरूयायन ये 6 बाह्य तप है एवं प्रायश्चित्त , विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग ये 6 अंतरंग तप हैं।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वायुशर्मा – Vaayusharmaa.: Name of the 10th chief disciple of Lord Rishabhadev. भगवान ऋषभदेव के 10वें गणधर “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेरुषेणा–Merushena. Name of main Aryika (Ganini) in the assembly of Lord Abhinandan–nath. तीर्थंकर अभिनन्दननाथ के संघ की 3 लाख 30 हजार 6 सौ आर्यिकाओ में प्रधान (गणिनी) आर्यिका”