चक्रपुरी!
चक्रपुरी Name of the capital of Gandha country in Videh (region). अपर विदेह के गंधा नामक देश की राजधानी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चक्रपुरी Name of the capital of Gandha country in Videh (region). अपर विदेह के गंधा नामक देश की राजधानी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पृष्ट – Sprasta. Touched.स्पर्ष किया हुआ, प्राप्यकारी या छूकर-भिड़कर जाना हुआ (चक्षु इन्द्रिय अप्राप्यकारी है, क्योकि वह स्पृष्ट रुप से पदार्थ को ग्रहण नही करती, शेष 4 इन्द्रिय प्राप्यकारी है)।
गुणार्थिक नय Standpoint of accepting attributes of matter. द्रव्य सामान्य को ग्रहण कर।[[श्रेणी:शब्दकोष]]ने वाला नय
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == जैन—दर्शन : == ण वि अत्थि अण्णवादो, ण वि तव्वाओ जिणोवएसम्मि। —सन्मति तर्क् प्रकरण : ३-२६ जैन दर्शन में न एकान्त भेदवाद मान्य है और न एकान्त अभेदवाद। अत: जैन दर्शन भेदाभेदवादी दर्शन है।
छत्रपति A poet who wrote many books like Dvadashan-upreksha, Udyamprakash etc. कोका (मथुरा) के एक कवि (वि. १९१६ पौष शुक्ल १) जिन्होंने द्वादशानुप्रेक्षा , उद्यमप्रकाश आदि रचनाएं की ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षनानुयोगद्वार – Sparssananuyodgdvaara. A type of Anuyogdwar (disquisition door) pertaining to the description of past & present of a matter (reg. touching).जो भूतकाल मे स्पर्ष किया है और वर्तमान मे स्पर्ष किया जा रहा है वह स्पर्षन कहलाता है। सत् संख्या और क्षेत्र रुप द्रव्यो के अतीतकाल, विशिष्ट वर्तमान स्पर्ष का स्पर्षनानुयोग वर्णन करता…
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्व-पर : == परद्रव्यात् दुर्गति:, स्वद्रव्यात् खलु सुगति: भवति। इति ज्ञात्वा स्वद्रव्ये, कुरुत रिंत विरतिम् इतरस्मिन्।। —समणसुत्त : ५८७ परद्रव्य अर्थात् धन—धान्य, परिवार व देहादि में अनुरक्त होने से दुर्गति होती है और स्वद्रव्य अर्थात् अपनी आत्मा में लीन होने से सुगति होती है। ऐसा जानकर स्वद्रव्य में…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्ध – Snigdha. Greasy, oily, lubricous.चिकना या चिक्कणपना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिनी – Namdina A city of the north of Vijayardh mountain , Name of a female beloved deity of a peripatetic Indra. विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर, गंधर्व व्यंतर के इन्द्र गितरस की वल्लभिकादेवी ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संज्वलन चतुष्क – Sanjvalana Chatushka. The quartet of slights passion i.e. anger, proud, illusion, greed. संज्वलन क्रोध मान माया लोभरूप चतुष्क जिसके सद् भाव में भी संयम ज्वलित अर्थात चमकता रहता है अथवा समीचीन निर्मल यथाख्यात चरित्र का जो ज्वलन-दहन करता है “