आधान क्रिया!
आधान क्रिया An auspicious worshipping to be observed before pregnancy. ऋतुमती स्त्री के चतुर्थ स्नान के पश्चात् गर्भाधान के पहले, अर्हन्त देव की पूजा के द्वारा मंत्र पूर्वक जो संस्कार किया जाता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आधान क्रिया An auspicious worshipping to be observed before pregnancy. ऋतुमती स्त्री के चतुर्थ स्नान के पश्चात् गर्भाधान के पहले, अर्हन्त देव की पूजा के द्वारा मंत्र पूर्वक जो संस्कार किया जाता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर तत्त्व – Svapara Tattva. Right element pertaining to the path of salvation.भेदोभेदात्मक अर्थात् निश्चय व्यवहार मोक्षमार्ग। आत्मनिष्ठता स्वतत्व (या निष्चय मोक्षमार्ग) तथा पर्याय प्रधान व्यवहार नय से सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र व्यवहार मोक्षमार्ग अर्थात् परतत्त्व है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्त्व – Sattva. Earth, Water, Fire & Air are called Sattva. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु- इन चार को सत्त्व कहते है “
जयवर्मा The son of the king Shrishen of Simhpurnagar of Gandhila (a country). गंधीला देश में सिंहपुरनर के राजा श्रीषेण का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] म्लेच्छ–Mlechha. Particular parts of earth according to Jain Philosophy, Non Aryan or uncivilized persons, uncultured. विजयार्ध पर्वत व गंगा, सिंधु नदियों के कारण भरत क्षेत्र के छेह खंड हो गए, इनमे से दक्षिण वाला मध्यखण्ड आर्यखंड है एवं any पाँच म्लेच्छ खंड कहलाते है, मनुष्य जाति का एक भेद; जो सदाचार, धर्म कर्म…
जयवंत The writer of ‘Tattvarth Balbodh’. तत्त्वार्थ बालबोध के कर्ता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्व-अहिंसा – Sra – Ahimsaa. Pure nature of soul.जीव का शुद्व स्वभाव की स्वअहिंसा है।
ध्रुवसेन Name of a great Acharya, possessing knowledge of 11 Angas. भगवान महावीर स्वामी के पीछे हुए 11 अंगों के ज्ञाता 5 आचार्यों में चैथे आचार्य, अपरनाम द्रुमसेन। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जयवराह A king of Saurashtra. पश्र्चिम में सौराष्ट्र देश का राजा (ई. ७७८-८०३)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादस्ति नास्ति अवक्तव्य – Syaadasti Naasti Avaktavya. The 7th Bhang of saptbhangi-expostion of the nature of the substance in the aspects of affimation, negation & indescribability.सप्तभंगी मे 7वां। स्वद्रव्य, चतुष्टय (द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव) की अपेक्षा से द्रव्य कथंचित् अस्तिरुप है, परद्रव्य चतुष्टय की अपेक्षा से वही द्रव्य कथंचित् नास्तिरुप है और दोने की…