फल्गुसेना!
फल्गुसेना Name of the last female Jaina follower of Dushmakal. दुषमाकाल की अंतिम श्राविका । इनका नाम पंगुश्री भी उल्लिखित है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
फल्गुसेना Name of the last female Jaina follower of Dushmakal. दुषमाकाल की अंतिम श्राविका । इनका नाम पंगुश्री भी उल्लिखित है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरावरण – Niraavarana. Univeiling, Uncovered. आवरण से रहित (केवल ज्ञान), मुनियों के द्वारा बिना आवरण के शयन करना कायक्लेश तप का एक लक्षण है”
त्यक्तावास Living in deserted place. अचैर्य व्रत की एक भावना, दूसरों के छोडे हुए ऊजड़ स्थान में निवास करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवावर्णवाद False allegations for heavenly deities. दर्शनमोहनीय कर्म के आस्रव का एक कारण स्वर्गलोक में रहने वाले देवी- देवता सुरापान करते हैं , मांस खाते हैं इस प्रकार देवगति के देवों पर मिथ्या आरोप लगाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तैजस शरीर नामकर्म प्रकृति A type of Karmic nature causing lustre in body. जिसके उदय से तैजस वर्गणाओं का आकर्षण तैजस शरीर बनने के लिए हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकादित्य –Lokaditya : Name of a king contemporary to Akaalvarsh. उत्तरपुराण की प्रशस्ति अनुसार अकालवर्ष के समकालीन एक राजा, आचार्य लोकसेन ने इनके समय में ही उत्तरपुराण को पूर्ण किया “समय –ई .898 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नरकगति – Niratagati. Destination of hell, hellish life course or destinity. नरकगति “
तुलिंग A country of Bharat ksherta in Aryakhand (region). भरतक्षेत्र आर्यखण्ड का एक देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकबिंदुसार – Lokabindusaar. The 14th Purva (a part of Shrutgyan – scriptual knowledge) containing mathematical knowledge). 14वां पूर्व ,इसमें बारह करोड़ 50 लाख पद हैं “इन पदों में अंक राशि ,8 प्रकार के व्यवहार की विधि तथा राशि परिकर्म आदि गणित तथा समस्त श्रुत संपदा का वर्णन है “