त्रिरत्न!
त्रिरत्न Three jewels of Jaina religion- Right faith, Right knowledge & Right conduct. जैन धर्म के तीन रत्न , सम्यग्दर्शन , सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिरत्न Three jewels of Jaina religion- Right faith, Right knowledge & Right conduct. जैन धर्म के तीन रत्न , सम्यग्दर्शन , सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्यक्त ज्ञायक शरीर The body left with renouncement. नोआगम द्रव्य कर्म का एक भेद कर्मस्वरूप के जानने वाले जीव का संन्यास रूप परिणामों से छोडा गया शरीर । यह तीन प्रकार का है- भक्तप्रत्याख्यान , इंगिनी व प्रायोपगमन। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव – Vibhava. Passionate feelings ( i.e feelings contrary to real nature ) due to the fruition of Karmas. कर्मों के उदय से होने वाले जीव के रागादि भावों को विभाव कहते हैं “
तृतीय काल A type of particular time period (plentitude-cum-penury). सुषमा दुषमा काला, इसमें जघन्य भोगभूमि की व्यवरूथा होती है। , [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषयातीत – Vishayatita. Supreme bliss. विषयों की निवृति से उत्पन्न होने वाला सुख अर्थात् संसार के विषयों से अतीत स्वाधीन अव्याबाध सुख “
तृतीय भूमिका See – Tîsarî Bhýmikå. देखें- तीसरी भूमिका। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विन्दफल – Vindaphala.: Volume,space occupied. आयतन ,घनफल ,विस्तार “
एक सौ उन्हत्तर A number – 169 (169 super human beings). 169-169 दिव्य पुरूष (महापुरूष ) कहे जाते हैं(तिलोयपण्णत्ति के अनुसार)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तिर्यग्योनि Form of Tiryanch beings i.e. the beings other than celestial, infernal and human beings. तिर्यचयोनि उपपाद जन्म वाले और मनुष्यों के अलावा शेष सभी एकेनिद्रय से पंचेन्द्रिय तक के जीव तिर्यंचयोनि वाले कहलाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वारिषेण – Vaarishena.: The son of king Shrenik who ultimately became deity in the heaven, Name of an Anuttaropapadak in the era of Lord Mahavira. राजा श्रेणिक का पुत्र ,मुनि हो स्वर्ग में देव हुआ ,भगवान महावीर के तीर्थ के एक अनुत्तरोपपादक “