पदगोष्ठी!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदगोष्ठी : Grammatical discussion. वैयाकरणों के साथ व्याकरण संबंधी चर्चा।
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[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैनयिकॠध्दि –VainayikiRddhi A type of supernatural power obtained through superme reverence for scriptures. प्रज्ञाश्रमण ॠध्दि के ४ भेदों में एक भेद, द्वदशांग श्रुत की योग्य विनय करने से उत्पन्न होने वाली ॠध्दि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकिक शुची –Laukika Shuchi.: Eight particular means of worldly purities. लोक व्यवहार शुद्धि –काल ,अग्रि,भस्म ,मृत्तिका ,गोबर ,पानी ,ज्ञान और निर्विचिकित्सा-ग्लानिरहितपना ये 8 प्रकार की वस्तुओं से व्यवहार में शुद्धि की जाती है “जैसे मिट्टी से हाथ धोना ,गोबर से जमीन लीप कर शुद्ध करना आदि “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पण्हसवण:Another name Dharsenacharya. धरसेनाचार्य का ही दूसरा नाम , क्योकि प्रज्ञाश्रमण का प्राकुत रूप पण्हसवण है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विरशासन जयंती व्रत –VirasasanaJayanintiVrata. A vow (fasting) on Shravan Krishna. 1, the first auspicious day on which the resonant preaching (DivyaDhvani) of Lord Mahavira was delivered. भगवन महावीर की दिव्यध्वनी की प्रथम तिथि श्रावण कृ.१ उपवास करना ” ‘ॐ’ ह्रीं श्री महावीरराय नम:’ इस मंत्र का जाप्य करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पक्षाभास: Fallacious arguments. मित्याप्रक्ष -इष्ट, असक्ष् िऔर अबाधित इन विषेषणो से विपरीत अनिष्ट, सि़द्व व बाधित पक्षाभास है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुमुक्षु–Mumukshu. Those desirous of salvation or liberation. मोक्ष की इच्छा करने वाले भव्य जीव” समयसार में निर्ग्रन्थ दिगंबर मुनिओ को मुमुक्षु कहा है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शांतिनाथ पुराण – Shantinaatha Puraana. Many narrative books of this title written by 1)Poet Asag 2) Acharya Shreedhar 3) sakalkirti 4) Shubhkirti. कवि असग द्वारा (ई. 988) रचित हिंदी महाकाव्य, आचार्य श्रीधर (ई. 1132) कृत अपभ्रंश काव्य, सकलकीर्ति (ई. 1406-1442) कृत 3475 संस्कृत पद्य प्रमाण ग्रंथ, शुभकीर्ति (ई.श. 15 पूर्वार्ध) कृत अपभ्रंश काव्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय अहिंसा – Nishchaya Ahinsa. Absolute non-voilence. मुनि अवस्था में प्रमाद व राग आदि का उत्पन्न न होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूगोल – Bhugola. Geography. जैनाभीमत में मध्यलोक- जंबुद्वीप आदि ब्रह्रांड का वर्णन विषय भूगोल में है “