त्रैविद्य विश्वेश्वर!
त्रैविद्य विश्वेश्वर A learned person of Dravid sangh (group) etc. द्रविड संघ के एक विद्वान का नाम । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रैविद्य विश्वेश्वर A learned person of Dravid sangh (group) etc. द्रविड संघ के एक विद्वान का नाम । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उभयाव्यतिरेकी That which refers to both extremes. हेतु का एक शब्द- अन्वयव्यतिरेकी जिसमें अन्वय दृष्टांत व व्यतिरेक दृष्टांत दोनों होते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिषष्ठिस्मृतिशास्त्र A book written by Pandit Ashadharji. पं. आशाधर जी (ई. 1173-1243) द्वारा रचित एक संस्कृत ग्रंथ। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हेलित – Helita. Pushing & jostling and mocking at others while paying reverence (an infraction). वंदना का एक देष-वंदना के समय दूसरों को धक्का आदि देना या उनकी हंसी आदि करनां “
दिव्यभाषा Resonant voice of Lord Arihant (Divyadhvani). नाना भाषाओं (718) में परिणत होने के अतिशय से सम्पन्न अर्हद्वाणी (दिव्यध्वनि)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रथमानुयोग- श्रुतस्कंध के 4 अनुयोंगों में प्रथम अनुयोग, इसमें तीर्थकर आदि त्रेसठ शलाकापुरुशों के चरित्र का वर्णन होता है। prathamanuyoga – biographical exposition related to jain – lord and great personalities of jain context.
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हुंडकसंस्थान – Humdakasamsthaana. Misshaped structure of body. संस्थान के 6 भेदो मे एक भेद-विषम या बेडौल शारीरिक आकृति का बनना।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव गुण पर्याय – Vibhava Artha Paryaya. See- Vibhava Artha Paryaya. देखें – विभाव अर्थ पर्याय “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिंसानंदी – Himmsaanammdi. A wicked concentration-to involve in violenceful activities with interest. रौद्रध्यान के चार भेदो मे एक भेद-तीव्र कषाय के वषीभूत होकर जीवसमूह को स्वंय मारने मे या दूसरे के द्वारा मारे जाने मे हर्षित होना और सदा हिंसा के कार्यों मे मन लगाये रखना हिंसौनंदी रौद्रध्यान है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राम बलदेव – तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ के तीर्थ में हुए 8 वें बलभद्र मांगीतुंगी से माक्ष गए। अपरनाम पù Rama-baldeva-Name of the 8th Balbhadra in the era of lord Munisuvratnath