नाभिकीर्ति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाभिकीर्ति – Nabhikirti Name of a Bhattarak of Nandi group नंदी संघ के एक भट्टारक का नाम ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाभिकीर्ति – Nabhikirti Name of a Bhattarak of Nandi group नंदी संघ के एक भट्टारक का नाम ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निक्षेप : == युक्ति—सुयुक्तमार्गे, यत् चतुर्भेदेन भवति खलु स्थापनम्। कार्ये सति नामादिषु, स निक्षेपो भवेत् समये।। —समणसुत्त : ७३७ युक्तिपूर्वक उपयुक्त मार्ग में प्रयोजनवश नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव में पदार्थ की स्थापना को आगम में निक्षेप कहा गया है। द्रव्यं खलु भवति द्विविधं, आगमनोआगमाभ्याम् यथा भणितम्। अर्हत्—शास्त्रज्ञायक:…
ग्रैवेयिक स्तूप A special structure of Samavasharan-holy assembly of Lord. ग्रैवेयिक विमान के आकार का समावशरण का स्तूप ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समता परिणाम – Samataa Parinaama. Harmonious or equnimous, temperaments. माघ्यस्थ भाव। अपने आत्मा मे तथा सर्व जीवो मे समभाव अर्थात् समता परिणाम होना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागौर – Nagaura Name of a place एक स्थान जिसके नजदीक कही मण्डल गढ़ नगर में पं. आशाधर जी का जन्म लिखी ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पेशी – Pashi. Muscles. औदारिक शरीर में पाई जाने वाली माँसपेशियाँ “
दर्शन – ज्ञान-चारित्र Three jewels of Jainas (Right faith, Right knowledge & Right conduct ). रत्नत्रय सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र इन तीनों गुणों को रत्नत्रय कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशालप्रभ – Vishalaprabha. Name of the 10th Jaina – Lord of Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र के १० वें तीर्थकर का नाम “
चंद्रानन A Tirthankar (Jaina-Lord) of Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र के विद्यमान २० तीर्थंकर में एक तीर्थंकर का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]