वैजयंत स्वर्ग!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैजयंत स्वर्ग –VaijayaintaSavrga. The forth heavenly abode of among 5 Anuttars (heavens). ५ अनुत्तरों में चौथा उत्तर दिशा का विमान “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैजयंत स्वर्ग –VaijayaintaSavrga. The forth heavenly abode of among 5 Anuttars (heavens). ५ अनुत्तरों में चौथा उत्तर दिशा का विमान “
चारित्रसार A book written by Chamundaray. चामुण्डराय (ई.श. १०-११) द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सयलविहिविहाण – Sayalavihivihaana. Name of book in Apabransh language written by Naynandi. नयनंदि द्वारा (ई. 1043) कृत अप्रभंष भाषाबद्व श्रावकाचार।
दधिमुख Name of particular 16 mountains in Nandishvardvip (island). नंदीश्वर द्वीप की 16 वापियों के मध्य स्थित दही के समान 16 सफेद वर्ण के पर्वत। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेद कषाय –Veda Kasaya Passion of lust. नोकषाय, चरित्र मोहनीय के उदय से आत्मा मे कामसेवन या स्त्रीत्व, पुरुषत्व, नपुंसकत्व के भाव”
चारित्रभक्ति A composition written by Kundkund-Pujyapad Acharya. श्री कुंदकुंद एवं पूज्यादि आचार्य कृत संस्कृत -प्राकृत की १० भक्तियों में एक भक्ति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष स्वामित्व विधान – Sparssana Svaamitva Vidhaana. A type of Anuyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्ष अंतर विधान।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पद:Designation or title. A part of scriptural Knowledge (Shrutgyan). उपाधि अथवा पदवी, श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 5 वां भेद, इनके अर्थ पद, प्रमाण पद और मध्ष्यम पद तीन भेद ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यतिरेक – Vyatireka. Distinction, Reaching beyond, a type separateness. भेद, अंतर, वैषम्य या असमानता “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेषसम श्रोता–Meshsam Shrota. A type of silly listener. श्रोता का एक प्रकार, जो मेढ़े के समान टकटकी लगाकर देखते हुए सुनता है किन्तु अज्ञानतावश कुछ ग्रहण नहीं कर पाता”