दर्शनावरण – चतुश्क!
दर्शनावरण – चतुश्क A quartet (Chakshu, Achakshu, Avadhi & Keval) of conation obscurring Karmic nature. दर्शनावरणीय कर्म प्रकृति का चतुष्क-चक्षु, अचक्षु, अवधि व केवलदर्शनावरण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दर्शनावरण – चतुश्क A quartet (Chakshu, Achakshu, Avadhi & Keval) of conation obscurring Karmic nature. दर्शनावरणीय कर्म प्रकृति का चतुष्क-चक्षु, अचक्षु, अवधि व केवलदर्शनावरण। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जयवर्मा The son of the king Shrishen of Simhpurnagar of Gandhila (a country). गंधीला देश में सिंहपुरनर के राजा श्रीषेण का पुत्र ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] म्लेच्छ–Mlechha. Particular parts of earth according to Jain Philosophy, Non Aryan or uncivilized persons, uncultured. विजयार्ध पर्वत व गंगा, सिंधु नदियों के कारण भरत क्षेत्र के छेह खंड हो गए, इनमे से दक्षिण वाला मध्यखण्ड आर्यखंड है एवं any पाँच म्लेच्छ खंड कहलाते है, मनुष्य जाति का एक भेद; जो सदाचार, धर्म कर्म…
चन्द्र परिवार Family of Indra ‘Chandra’ (an astral deity). ज्योतिषी देवों में चन्द्र नाम इंद्रा होता है , उसके परिवार में १ सूर्य , ८८ गृह, २८ नक्षत्र, ६६९७५ कोड़ाकोड़ी तारे होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयवंत The writer of ‘Tattvarth Balbodh’. तत्त्वार्थ बालबोध के कर्ता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्व-अहिंसा – Sra – Ahimsaa. Pure nature of soul.जीव का शुद्व स्वभाव की स्वअहिंसा है।
जयवराह A king of Saurashtra. पश्र्चिम में सौराष्ट्र देश का राजा (ई. ७७८-८०३)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादस्ति नास्ति अवक्तव्य – Syaadasti Naasti Avaktavya. The 7th Bhang of saptbhangi-expostion of the nature of the substance in the aspects of affimation, negation & indescribability.सप्तभंगी मे 7वां। स्वद्रव्य, चतुष्टय (द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव) की अपेक्षा से द्रव्य कथंचित् अस्तिरुप है, परद्रव्य चतुष्टय की अपेक्षा से वही द्रव्य कथंचित् नास्तिरुप है और दोने की…
गोदोहन आसन A posture of sitting (like to milk). कायक्लेश का एक भेद ; गौ को दुहने की भाँति बैठना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जटासिंहनन्दि Name of an Acharya, the writer of ‘Varanga Charitra’ वरांग चारित्र के रचयिता एक आचार्य ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]