भोगानर्थाक्य!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगानर्थाक्य:An infraction-excess of consumables, hoarding. अनर्थदण्डव्रत का एक अतिचार; आवश्यकता से अधिक उपभोग परिभोग की वस्तुओं को एकत्रित करना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगानर्थाक्य:An infraction-excess of consumables, hoarding. अनर्थदण्डव्रत का एक अतिचार; आवश्यकता से अधिक उपभोग परिभोग की वस्तुओं को एकत्रित करना “
आठ शुद्धी Eight particular kinds of purity related to mind, speech, body, food etc. मन, वचन की शुद्धि, आहार की शुद्धि, ईर्यापथ शुद्धि, व्युत्सर्ग शुद्धि, शयनासन शुद्धि, और विनयशुद्धि ये 8 शुद्धियाँ हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ग्लान One having diseased body (reg. saint). रोगी साधु अथवा रोग आदि से क्रांत शरीर वाला ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोक्त्रत्व भोग्य भाव :See- Bhokta Bhogya Bhav. देखें – भोक्ता भोग्य भाव “
गरूड़ध्वज Name of a city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गर्दतोय A division of special heavenly deities (Laukantik). लौकान्तिक देवों का एक भेद ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकाम – Prakama. Name of the 4th pre-destined Rudra. भविष्यत् कालीन चौथे रूद्र का नाम “
गरूड़ Ruling demigod of Jaina Lord Shantinath, 4th Patal (layer) of sanatkumar heaven, Eagle or a large vulture. शांतिनाथ भगवान का शासन यक्ष. सनत्कुमार स्वर्ग का चौथा पटल. एक विशालकाय पक्षी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संयम : == यथा कूर्म: स्वअंगानि, स्वके देहे समाहरेत्। एवं पापानि मेधावी, अध्यात्मना समाहरेत्।। —समणसुत्त : १३७ जैसे कछुवा अपने अंगों को अपने शरीर में समेट लेता है, वैसे ही मेधावी (ज्ञानी) पुरुष पापों को अध्यात्म के द्वारा समेट लेता है। वय समिदि कसायाणं दंडाणं तह इंदियाण पंचण्हं।…
गंगदेव Name of an Acharya possessing knowledge of 10 purvas & 11 angas. एक आचार्य जिनका नाम ‘देव’ था , भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् दसवें, ११ अंग व पूर्वधारी हुए थे । [[श्रेणी:शब्दकोष]]