उपासकाध्ययन!
उपासकाध्ययन A type of scriptural knowledge (Shrutgyan). द्रव्यश्रुतज्ञान का सातवाँ अंक जिसमें श्रावक धर्म का विशेष विवेचन किया गया है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपासकाध्ययन A type of scriptural knowledge (Shrutgyan). द्रव्यश्रुतज्ञान का सातवाँ अंक जिसमें श्रावक धर्म का विशेष विवेचन किया गया है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उत्तर प्रत्यय Subsidiary conditions. प्रत्यय आस्रव को कहते हैं मिथ्यात्व अविरति कषाय योग के उत्तर भेद 57 को उत्तर प्रत्यय कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोभाणु –Lobhaanu Subtle form of greed . सूक्ष्म साम्पराय गुणस्थान जहां लोभाणु अर्थात् सूक्ष्म लोभ रहता है “
उपशांतमोह Subsided delusion, The saint with quiescent passions . उपशम कषाय का अपर नाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकोत्तर मंगल –Lokottara Mangal: Artificial & natural temples,Lord Arihant etc. are called Lokottara Mangal. अरिहंत भगवान ,कृत्रिम-अकृत्रिम चैत्यालय आदि ये समस्त संसार के लिए मंगल स्वरुप होते हैं “
उपसौमनस A part of Saumanasa forest. सौमनस वन का एक अन्तर्वर्ती वन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आवीचिका मरण Instantial death (destruction of the body). जीव की आयु का प्रतिक्षण क्षीण होने रूप नित्य मरण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वृत्ति अक्षर – Nirvrtti Akshara. Words pronounced by the living beings. जीवों के मुख से निकले शब्द, यह व्यक्त और अव्यक्त ऐसे दो प्रकार से होते है “
उत्तरोत्तर कर्म प्रकृति Secondary karmic nature. 148 उत्तर कर्म प्रकृतियों के भी भेद-प्रभेद।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्विकृति – Nirvikriti. Tasteless substance like buttermilk etc. जिस आहार को परस्पर मिलाने से विशेष स्वाद उत्पन्न होता है उसे विकृति कहते है, विकृति से रहित छाछ आदि को निर्विकृति कहते है “