प्रमाण (ज्ञान)!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण (ज्ञान)- सम्यग्ज्ञान। Pramana (Jnana)- Right knowledge
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमाण (ज्ञान)- सम्यग्ज्ञान। Pramana (Jnana)- Right knowledge
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मन – Mana. Mind , Consciousness. अन्तःकरण ” नोइन्द्रिय; जिसके द्वारा शिक्षा ग्रहण हो , तर्क – वितर्क हो , संकेत समझा जावे “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्राम्र – Sahasraamra. Forest of mango trees, the initiation & ommiscience forest of Lord Shantinath & Neminath. आम्रवृक्षों का वन, भगवान शांतिनाथ का दीक्षा एवं केवलज्ञान वन ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विराट – Virata. Name of a country, the old name of Barar. एक देश, राजा विराट यहाँ के राजा थे वनवासी पांडवों ने छध्वेश में इसी का आश्रय लिया था (बरार देश का पूर्व नाम) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रबाहू – Sahasrabaahoo. Father’s name of the 8th Chakravarti (emperor) Subhaum. 8 वें चक्रवर्ती सुभौम के पिता ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहसातिचार – Sahasaatichaara. Sudden inclination towards inauspicious thoughts & speech. अशुभवचन और अशुभ विचारो में वचन की और मन की तत्काल अविचार पूर्वक प्रवृत्ति होना, इसको सहसातिचार कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य भंग- आचार्य अनन्तकीर्ति (ई.श. 8 मध्यपाद) द्वारा रचित एक ग्रंथ। PramanyaBhanga- A book written by acharyaAnantkriti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृतप्राभृत- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 13 वाँ भेद, यह ज्ञान अनुयोग समास ज्ञान में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। PrabhrtaPrabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष ]] == ध्यान : == मोक्ष: कर्मक्षयादेव, स चात्मज्ञानतो भवेत्। ध्यानसाध्यं मतं तच्च, तद्ध्यानं हिममात्मन:।। —योगशास्त्र : ४-११३ कर्म के क्षय से मोक्ष होता है, आत्मज्ञान से कर्म का क्षय होता है और ध्यान से आत्मज्ञान से कर्म का क्षय होता है और ध्यान से आत्मज्ञान प्राप्त होता है। अत: ध्यान…
ऊर्ध्वव्यतिक्रम Exceeding the limits set in the direction, namely upwards. दिग्व्रत का तीसरा अतिचार लोभवश ऊपर की सीमा का उल्लंघन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]