लोभाणु!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोभाणु –Lobhaanu Subtle form of greed . सूक्ष्म साम्पराय गुणस्थान जहां लोभाणु अर्थात् सूक्ष्म लोभ रहता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोभाणु –Lobhaanu Subtle form of greed . सूक्ष्म साम्पराय गुणस्थान जहां लोभाणु अर्थात् सूक्ष्म लोभ रहता है “
उपशांतमोह Subsided delusion, The saint with quiescent passions . उपशम कषाय का अपर नाम।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकोत्तर मंगल –Lokottara Mangal: Artificial & natural temples,Lord Arihant etc. are called Lokottara Mangal. अरिहंत भगवान ,कृत्रिम-अकृत्रिम चैत्यालय आदि ये समस्त संसार के लिए मंगल स्वरुप होते हैं “
उपसौमनस A part of Saumanasa forest. सौमनस वन का एक अन्तर्वर्ती वन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपदेशसम्यक्त्वार्य A type of Aryas (noble persons) who get right faith by the preaching of saints. अनृद्धि प्राप्त आर्य जिन्हें तिरेसठ शलाका पुरूषों के पुराण (वृत्तान्त) के उपदेश से तत्वार्थ श्रद्धान उत्पन्न हुआ हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आवीचिका मरण Instantial death (destruction of the body). जीव की आयु का प्रतिक्षण क्षीण होने रूप नित्य मरण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वृत्ति अक्षर – Nirvrtti Akshara. Words pronounced by the living beings. जीवों के मुख से निकले शब्द, यह व्यक्त और अव्यक्त ऐसे दो प्रकार से होते है “
उत्तरोत्तर कर्म प्रकृति Secondary karmic nature. 148 उत्तर कर्म प्रकृतियों के भी भेद-प्रभेद।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्विकृति – Nirvikriti. Tasteless substance like buttermilk etc. जिस आहार को परस्पर मिलाने से विशेष स्वाद उत्पन्न होता है उसे विकृति कहते है, विकृति से रहित छाछ आदि को निर्विकृति कहते है “
आर्हन्त्य क्रिया An auspicious and sacred activity. कत्र्रन्वय की क्रियाओं में छठी क्रिया-केवलज्ञान होने पर देवों द्वारा की जाने वाली अर्हंतों की पूजा आदि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]