योग्य पात्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग्य पात्र – जो सम्यग्दर्षन से षुद्ध है धर्मध्यान में लीन रहता है और सब तरह केे परिग्रह व मायादि षल्यों से रहित है। Yogya patra-Absolutely worthy saint
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग्य पात्र – जो सम्यग्दर्षन से षुद्ध है धर्मध्यान में लीन रहता है और सब तरह केे परिग्रह व मायादि षल्यों से रहित है। Yogya patra-Absolutely worthy saint
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिप्त –Lipta.: A kind of impurity of hands etc. while food offering to the saints. आहार से सम्बंधित दातार का एक दोष; गेरू ,हरताल,खड़िया,चावल आदि का चून, कच्चा शाक इसमें लिप्त हाथ तथा पात्र अथवा अप्रासुक जल से भीगे हाथ या बर्तन से साधु को आहार देना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पापप्रकृति – Papaprakrti. Demeritorious Karmic nature (obscurring karmic nature of knowledge etc.), which are 82 in number. ज्ञानावरण की ५, अन्तराय की ५, दर्शनावरण की ९, मोहनीय की २६ आदि कुल ८२ प्रक्रतियां पापप्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग्य क्षेत्र – पर्वत, गुहा, वृक्ष की कोटर , नदी का तट, नदी का पुल आदि समस्त ध्यान के योग्य स्थान। Yogya Ksetra-Suitable area or space for meditation
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यौवराज्य क्रिया – गर्भान्वय की 53 क्रियाओ में एक क्रिया, इसमें युवराज को अभिशेक राजपटट् वाधा जाता है। Yauvarajya Kriya-An auspicious activity of enthronement
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पादतप:Particular austerity like to stand on single foot etc.कायक्लेश, एक पैर से खड़े होना आदि तप करना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नकरंडश्रावकचार – आचार्य समन्तभद्र ं(इ्र, ष, 2) कृत एक संस्कृत ग्रंथ Ratnakaramdasravakacara-Name of a treatise written by Acharya Samantbhadra
त्रिपुर A country of Bharat kshetra Vindhyachal (region). भरत क्षेत्र विन्ध्यांचल (विजयार्ध) का एक देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेघंकरी– Meghankari. The female divinity of Nanadankut (a summit) of Nandan forest. नन्दनवन के नन्दंकुट कीस्वामिनी एक दिक्कुमारी देवी”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त पाहुड़ – Sachitta Paahura. Animate gifts (pertaining to living objects). निक्षेप रूप पाहुड़ का एक भेद; उपहार रूप से भेजे गये हाथी, घोडा और स्त्री आदि सचित्त पाहुड़ है “