निर्वाणसंपत्ति यंत्र!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वाणसंपत्ति यंत्र – Nirvaanasampatti Yantra. A metallic plate engraved with auspicious mystic words. मंत्र लिखित धातु की एक प्लेट “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्वाणसंपत्ति यंत्र – Nirvaanasampatti Yantra. A metallic plate engraved with auspicious mystic words. मंत्र लिखित धातु की एक प्लेट “
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == धर्मचरण : == जरा यावत् न पीडयति, व्याधि: यावत् न वद्र्धते। यावदिन्द्रियाणि न हीयन्ते, तावत् धर्मं समाचरेत्।। —समणसुत्त : २९५ जब तक बुढ़ापा नहीं सताता, जब तक व्याधियां (रोगादि) नहीं बढ़ती और इन्द्रियाँ अशक्त अक्षम) नहीं हो जातीं, तब तक (यथाशक्ति) धर्माचरण कर लेना चाहिए क्योंकि बाद में अशक्त एवं असमर्थ…
आरंभ Beginning, Tendency to cause pain to others. कार्य करने लगना, पापास्रव के 108 कारणों में से एक भेद प्राणियों को दुःख पहुँचाने वाली प्रवृत्ति।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बिंबसार – Bimbasara Another name of Magadharaj Shrenik, who will be the first Tirthankar (Jaina-Lord) of future time. मगधराज श्रेणिक का अपर नाम ” समय ई.पू.६०४-५५२ ” ये भगवान महावीर के समवसरण में प्रमुख श्रोता थे ,जिनके द्वारा ६०,००० प्रशन पूछे गये ” ये भविष्यकाल के प्रथम तीर्थकर ‘महापध्ह्य’ होंगे “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नंदिभद्र – Namdibhadra A great saint whose another name is ‘Nandivardhana’. एक चरण ॠदधिधारी मुनि, इनका अपरनाम नंदिवर्धन है ”
आशातना Destroying of disrespectful conduct. कुचारित्र का क्षपण करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्माल्य द्रव्य – Nirmaalya Dravya. The worshipping articales made offered to the Lord. जो अष्टद्रव्य सामग्री मंत्र बोलकर जिनेन्द्रादि की पूजा में चढ़ा दी जाये “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] A type of metallic plate engraved with some auspicious mystic words. नयनोन्मीलन मंत्र लिखित धातु की प्लेट “
आहारपर्याप्ति Food offering with devotion to saints. एक शरीर को छोड़कर दूसरे नवीन शरीर के बिना कारणभूत जिन नोकर्म वर्गणाओं को जीव ग्रहण करता है उनको खलरसभाग परिणमाने की प्र्याप्त नामकर्म के उदय से रहित जीव की शक्ति का पूर्ण हो जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निनार्मिक – Ninaarmika. The so of king Gangdev who took birth later as the 9th Narayana ‘Krishna’. राजा गंगदेव का जिसने मुनि बन तपस्या की और अगले भाव में ‘कृष्ण’ नामक नवां नारायण हुआ “