स्व प्रकाषक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्व प्रकाषक – Sva prakaasaka. Self revealing knowledge.ज्ञान। निष्चय नय से ज्ञान स्वप्रकाषक है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्व प्रकाषक – Sva prakaasaka. Self revealing knowledge.ज्ञान। निष्चय नय से ज्ञान स्वप्रकाषक है।
द्रौपदी Wife of Arjun (the daughter of king Drupad). अर्जुन की पतिव्रता स्त्री, राजा द्रुपद की पुत्री । वैदिक महाभारत में द्रौपदी को पाँचों पाण्डवों की पत्नी स्वीकार किया है परन्तु जैन महाभारत (हरिवंशपुराण) में द्रौपदी को मात्र अर्जुन की पत्नी महान शीलवती नारी कहा है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जिनालय वंदना Paying reverence to natural and man made temples (place of pilgrimages). अकृत्रिम-कृत्रिम चैत्यालयों की वंदना करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वनिंदा – Svanimmdaa. Self-criticism.आत्म निंदा। उच्च गोत्र के आस्रव का एक कारण।
जयचंद छाबड़ा A great personality who wrote commentaries on many books like ‘Prameyratnamala’ etc. एक विद वान जिन्होंने सर्वार्थसिद्धि (वि. १८६१) , प्रमेयरत्नमाला (वि. १८६३) , द्रव्य संग्रह (वि. १८६३) आदि ग्रंथों पर वचनिकाएं लिखीं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वच्छंद श्रोता – Svacchammda Ssrotaa. Unworthy or restraintless listeners.कुपात्र श्रोता। स्वच्छंद श्रोताओ को विधा देना संसार और भय को ही बढ़ाने वाला है।
द्रव्य शल्य Physical sting, physical thorn (related to Karmas). मिथ्यादर्शन, माया, निदान ऐसे तीन शल्यों की जिन से उत्पत्ति होती है ऐसे कारणभूत कर्म को द्रव्यशल्य कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेहेसरचरीउ–Mehesrachriu. Name of a book. सुलोचनाचारित्र विषयक अपभ्रंश भाषा का एक ग्रंथ”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद्वादसिद्वि – Syaadvaadasiddhi. Name of a treatise written by Acharya Vadibhisingh. आचार्य वादीभसिह (ई0 1103) द्वारा रचित संस्कृत भाषाबद्व न्याय विषयक ग्रन्थ।