वरुणकायिक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरुणकायिक – Varunakaayika.: A type of deities. आकाशोपपन्न देवों के 12 भेदों में एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वरुणकायिक – Varunakaayika.: A type of deities. आकाशोपपन्न देवों के 12 भेदों में एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वनाथ पुराण – Parsvanatha Purana. Name of book written by Kannad poet ‘Parshva Pandit’. कन्नड़ कवि पार्श्व पंडित (१२०५ ई. सन्) कृत ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वप्रा – Vapraa.: Name of a country of western Videh Kshetra (region). पश्चिम विदेह का एक देश “विजया नगरी यहाँ की राजधानी है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नौकार श्रावकाचार – Naukaara Shraavakaachaara. A book written by Acharya Yogendudeva. आचार्य योगेन्दुदेव (ईश.6 उत्तरार्द्ध) द्वारा अपभ्रंश भाषा में रचित एक ग्रंथ “
आभ्यन्तर Internal, Non essential qualities of soul like anger etc. अंतरंग उपाधि (परिग्रह) का एक प्रकार- क्रोधादिरूप आत्मभाव आभ्यंतर उपधि हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == जिन : == केवलज्ञान—दिवाकर—किरण—कलाप—प्रणाशिताज्ञान:। नवकेवललब्ध्युद्गम—प्रापित—परमात्मव्यपदेश:। असहायज्ञानदर्शन—सहितोऽपि हि केवली हि योगेन। युक्त इति सयोगिजिन:, अनादिनिधन आर्षे उक्त:।। —समणसुत्त : ५६२-५६३ केवलज्ञान रूपी दिवाकर की किरणों के समूह से जिनका अज्ञान अंधकार सर्वथा नष्ट हो जाता है तथा नौ केवललब्धियों (सम्यक्त्व, अनंतज्ञान, अनंतदर्शन, अनंतसुख, अनंतवीर्य, दान, लाभ, भोग व उपभोग)…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव मोक्ष – Bhava Moksa. Psychical salvation. आत्मा का वह शुद्ध भाव जिससे सर्व कर्म झड़ जाये व आत्मा कर्म बंधन रहित अर्थात् मुक्त हो जावे “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुंडन– Mundan. The first ceremonial shaving of a child’s head, Restraining over senses, mind etc. बच्चो के सिर मुंडाना आदि क्षौर कर्म अथवा मुंडन का अर्थ निरोध करना है” पाँच इन्द्रियो का मुंडन, वचनमुंडन, हाथ, पैरऔर शरीर का मुंडन तथा मन का मुंडन ये दश मुंडन है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूलगुण–Mulguna. Basic restraints or virtues of devotees, saints etc. श्रावक, साधु आदि के मूलभूतनियमएवं मुख्य गुणों को मूलगुण कहते है” श्रावक के 8(देखे– अष्टमूलगुण) एवं साधुओ के 28 मूलगुण (5 महाव्रत, 5 समिति, 5इन्द्रियनिरोध, 6 आवश्यक, 7 विशेष–आचेलक्य, केशलोच,भुमिशायन, अस्नान, अदंतधवन, झाडे होकर भोजन करना, एक बार भोजन करना) होते है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वट वृक्ष-Vata Vraksha The Banyan tree under which Lord Rishabhdev got initiated and obtained omniscience. बरगद का पेड़ ,तीर्थंकर ऋषभदेव का दीक्षा एवम केवलज्ञान वृक्ष “युग के आदि में भगवान ऋषभदेव ने प्रयाग (इलाहाबाद ) में वटवृक्ष के निचे जैनेश्वरी दीक्षा ली थी “आज भी प्रयाग के मिलिट्री क्षेत्र में स्थित अक्षयवटवृक्ष भगवान के…