भव्यत्व!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यत्व – Bhavyatva. Worthiness for salvation. जीव का वह स्वभाव जिससे सम्यक्त्व प्रकट होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यत्व – Bhavyatva. Worthiness for salvation. जीव का वह स्वभाव जिससे सम्यक्त्व प्रकट होता है “
धृतेन्द्र A king of Kuru dynasty. धृतपद्म के पश्चात् हुआ कुरूवंशी राजा । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्रसम्यग्दर्शन – Suutra Samyagdarshana. See- Sutra Ruchi. देखे – सूत्र रूचि ।
धृतमान A king of Kuru dynasty. राजा धृतयश के पश्चात् हुआ एक कुरूवंशी राजा। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र दोष–Mishra Dosh. A fault of food–donation to Jain saints. आहार के 16 उद्गम दोषों में एक दोष; प्रासुक तयार हुआ आहार अन्यवेषधारिओ तथा ग्रहस्थी केसाथ–साथ सयमीसाधुओ को भी देने का संकल्प करना मिश्र दोष है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिसनहारी मढिया – Pisanahari Marhiya. A Jain temple at Jabalpur city (M.P.). जबलपुर नगर (म.प्र.) का एक जैन मंदिर, जिसे एक महिला ने आटा पीस-पीसकर उपार्जित धन से बनवाया था “
धार्मिक क्रिया Religious activity. धार्मिक क्षेत्र में श्रावक व साधुजन द्वारा किया जाने वाला कायिक अनुष्ठान इत्यादि। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म साम्पराय चारित्र – Sukshma Saamparaaya Chaaritra. Conduct with minute passions (Sukshma Saamparaaya reg. purity of soul). दसवें गुणस्थान में होने वाला चारित्र इस चारित्र में कषाय अति सूक्ष्म हो जाती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पितृकायिक – Pitrkayika. A type of deities. आकाशोपपन्न देवों के १२ भेदों में एक भेद “