उद्योत नामकर्म प्रकृति!
उद्योत नामकर्म प्रकृति A karmic nature causing effulgence (lustrous) body. जिसके निमित्त से शरीर में उद्योत होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उद्योत नामकर्म प्रकृति A karmic nature causing effulgence (lustrous) body. जिसके निमित्त से शरीर में उद्योत होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ऊर्ध्वगौरव धर्म Particular nature of salvated souls. मुक्त जीव का धर्म वे ऊपर ही जाते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
थानक पंथी / थानकवासी A shvetambar Jain sect. श्वेताम्बर जैन पंथ, ये प्रतिमा को नहीं पूजते हैं, साधु वस्त्र एंव मुह पर पट्टी रखते हैं । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोवेग – Manovega. Name of a weapon of Bharat Chakravarti (an emperor) , A king of Rakshas dynasty, Mental impulses. भरत चक्रवर्ती का अस्त्र , राक्षस वंश के संस्थापक राजा राक्षस का पिता , मन के उद्वेग “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणघात- हिंसा; प्रामद से युक्त होकर जीवों का घात करना। Pranaghata- Killing of beings
त्रैकाल्ययोगी The disciple of Golacharyaji. एक आचार्य (ई.920-930) जो गोलाचार्य (ई. 900-920) के शिष्य तथा अभयनंदि (ई.930-950) के गुरू थे। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बहिर्चित्प्रकाश- बाह्य पदार्थो की ओर जिसकी दृटि हो। Bahircitprakasa- External knowledge
त्रिवलित A fault or religious activities. कायोत्सर्ग का एक अतिचार, वंदना का एक अतिचार , कटि ग्रीवा, मस्तक, आदि पर तीन बल पड़ जाना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चतुर्दश गुणस्थान Fourteen Gunsthan-stages of spiritual developments. १४ गुणस्थान ; मिथ्यात्व , सासादन , मिश्र , अविरत सम्यग्दृष्टि , देशाविरत , प्रमत्त , अप्रमत्त, अपूर्वकरण , अनुवृत्तिकरण, सूक्ष्म-साम्पराय , उपशांत मोह , क्षीणमोह , संयोगकेवली, आयोगकेवली ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]